पृष्ठ:भूगोल.djvu/३०

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अङ्क १-४] काश्मीर २९ २,५०,००० पौंड रेशम पैदा किया जाता है। राज्य में की मस्जिद, इसको नूरजहाँ ने बनवाया था। (१२) लगभग १५ लाख भेड़े हैं । अच्छा ऊन पैदा करने के महाश्री । ( १३) स्कन्ध भवन । ( १४ ) त्रिभुवन लिये इनको जाति और रंग बदलने की व्यवस्था की स्वामी का मन्दिर । (१५) क्षेम गौरीश्वर का मन्दिर, जा रही है। (१६) दीदा मठ, (१७. अली मस्जिद, (१८) विक्रमे मार्ग श्वर, (१९) अमृत भवन, (२०) जामा मस्जिद, भारतवर्ष से काश्मीर जाने के लिये तीन मार्ग हैं। (२२ ) शालिमार या प्रेम का स्थान, यहाँ की वाटि- (२१) नसीम बाग, (इसको शाहजहां ने बनवाया था।) (१) झेलम घाटी की सड़क (२) बाना हाल सड़क कायें सुन्दर हैं, (२३) गुप्त गंगा, (२४) निशात बाग, (३) शूपियन सड़क । झेलम घाटी की सड़क १५६ (२५) मार्तण्ड जी का मन्दिर इत्यादि स्मारक मील लम्बी है और रावलपिंडी से यहाँ तक तांगे पर देखने योग्य हैं। ये सभी रमणीक स्थानों पर बने हैं । केवल दो दिन का मार्ग है । यात्री लोग बहुधा इसी इनका दृश्य अलौकिक है। इन्हीं सब बातों से ही सड़क से होकर आते जाते हैं । बानाहाल सड़क भी काश्मीर स्वर्गभूमि कहलाता है। अच्छी दशा में है। इसमें सभी प्रकार की गाड़ियाँ चल सकती हैं। (३) शूपियन सड़क, यह मुग़ल साम्राज्य के इतिहास समय में काम आती थी । यह मार्ग दुर्गम और इतिहास इस बात का साक्षी है कि काश्मीर कठिन है। भारत का सम्बन्ध रहा है । राजतिरंगिनी नामक पुस्तक अमर नाथ, लार में तुलामूल, त्रिसंध्या, रुद्रसंध्या, से हमयो और यहां के प्राचीन इतिहास का अच्छा वासुक नाग, पवन संध्या, सप्तऋशि, ततदान, हरमुखा. ज्ञान होता है । चौदहवीं शताब्दी में यह राज्य मंगोलि- दयानेश्वर बुमज तथा वीरू की गुफाएँ. स्वयम्भू आदि यन रामों के अधिकार में रहा । फिर यहां पठानों वस्तुएँ अलौकिक हैं । यात्रो लोग दूर से इनको देखने का शासन रहा। उसके बाद मुग़ल साम्राज्य बना । आने हैं। १८१९ में महाराजा रणजीत सिंह ने इसे अपने अधि कार में किया। फिर एक सन्धि द्वारा जम्मू प्राचीन स्मारक गुलाब सिंह राजा बनाये गये । वर्तमान समय में काश्मीर एक बहुत ही प्राचीन प्रदेश है । इमी यहां के शासक हिज हाईनस श्री महाराजा हरी सिंह कारण यहाँ प्राचीन स्मारक बहुत हैं। इनकी रक्षा के जी बहादुर हैं। आप १९२५ ई० में गही पर बैठे। लिये राज्य की ओर से प्रबन्ध होता है। निम्नांकित आप के और रेजीडेन्सी के बीच पहले अच्छे भाव म्मारक प्रधान हैं। नहीं थे। रेजीडेन्सी राज दरवार के कार्यो में दखल (१) बन्दी का मन्दिर, यह हरे रंग के पत्थर का देती थी। अब झगड़े दूर हो गये हैं। आप पहली बना है । (२) बुनिश्रार का भवानी का मन्दिर । (३) गोलमेज़ कानफ्रेन्स में सम्मिलित हुए । उसमें श्रीस्थान का लिंग, यह १२ फुट ऊँचा है । (४) फतेह- श्राप ने जो कुछ किया वह प्रशंसनीय है। महाराजा गढ़ का मन्दिर । (५) नारायण थाल । (६) नरेन्द्रेश्वर पटियाला, अलवर, बीकानेर और भोपाल के नवाब के का मन्दिर । (७) शंकर-गौरी और सुगनदेश्वर का साथ साथ आपने संघ शासन मानने की स्वीकृति दी। मन्दिर । (८) शंकराचार्य का मन्दिर,यह सुलेमान पर्वत काश्मीर का शासन करना कोई सरल कार्य नहीं पर है । प्रत्येक काश्मोर जाने वाला यात्री इसे अवश्य है। यहां के अधिकतर निवासी मुसलमान हैं जो एक देखता है । इसको बुद्ध लोग बड़े आदर की दृष्टि से हिन्दू राज्य का देखना पसंद नहीं करते। अधिक समय देखते हैं। (९) नर पीड़ा स्थान या नरेन्द्रस्वामी का से काश्मीर राज्य की शक्ति वहां के ब्राह्मण पंडितों के मन्दिर, यह श्रीनगर में है। (१०) शाह हमदान मस्जिद, हाथ रहो थो । इमसे महाराज को भय मालूम हुआ यह अधिकतर लकड़ी की बनी है । यह मस्जिद काली कि कहीं राज प्रबन्ध में गड़बड़ी न पड़ जावे । इस लिये देवी के मन्दिर को तोड़कर बनाई गई है । पत्थर वे राजप्रबन्ध को ठोक रास्ते पर लाने का प्रयत्न करने के राजा