पृष्ठ:भूगोल.djvu/४१

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she भूगोल [ वर्ष १६ जिसके विरुद्ध राजपूत खड़े हुए और उन्होंने कई सुजान सिंह राजा हुए जिन को सरकार की ओर से लड़ाइयों में शाही सेना को हरा दिया। अंत में १६८१ जी० सी० एस० आई० की उपाधि मिली। किन्तु में बादशाह ने विवश होकर इसको माफ कर दिया। १८८० में २४ साल की अवस्था में ही राजा की मृत्यु औरंगजेब के कट्टरपन के कारण सारे राजपूत एक हो गई और. फतेह सिंह राजा हुए। होगये और मेवाड़ को अगुवा बना कर मुकाबिला महाराज दीवान की सहायता से शासन करते हैं। करने पर तय हुए । १७१६ में अमर सिंह की मृत्यु एक सेना का दस्ता मीलों का अंग्रेज सरकार ने के बाद संग्रामसिंह मेवाड़ की गद्दी पर बैठे । और बनाया जिसके खर्च के लिये ५,००० पौंड सालाना उनके बाद जगत सिंह राना हुए । इस समय से आगे राजा को देना पड़ता है । २०,००० पौंड सालाना राजा १८१७ तक मेवाड़ की दशा उथल-पुथल में रहो। की ओर से ब्रिटिश सरकार को दिया जाता कभी तो स्वतंत्र कभी गुजरात के आधीनता में तो राजा की सहायता के लिये राजा के पास ४६४ कभी मरहठों के कब्जे में रहा । १८१७ के समीप बन्दूकें । १३३८ बन्दूक व तोपखाने वाले ६,२४० सवार पिंजरियों और मरहठों ने बड़ी लूट पाट मचा रक्खी १५,१०० पैदल हैं। थी। इसको एकदम दबाने के लिये अंग्रेज सरकार ने सोचा और इसी ख्याल से अंग्रेज सरकार ने राजपूत राज्य की सालाना आय ६३,९७,००० रु० है, सरदारों को निमंत्रित किया कि वे सहायक सना और सालाना व्यय २२.०८४ रुपये है। इसमें जागीर- रक्खें और अंग्रेजों के सहकारी बन जावें । उदयपुर दारों की आमदनी नहीं मिली है । साल में लगान स के राना ने इसको शीघ्र ही स्वीकार कर लिया और ४५०० रु० की बचत होती है। वर्तमान नरेश हिज़ सुलहनामे पर हस्ताक्षर कर दिये महाराना भोम सिंह हाईनेस महाराजाधिराज महाराना सर भूपाल सिंह १८२८ में मरे उनके बाद जुबान सिंह. सरदार सिंह जी बहादुर जी० सी० एस० आई० के० सी० आई० सरूपसिंह, शम्भू सिंह श्रादि राजे हुए। इसके बाद ई० हैं । - जोधपुर या मारवाड़ जोधपुर या मारवाड़ राज्य राजपूताना भर में सब लूनी हो जाता है। इस नदी के कछारों में गेहूँ, चना मे बड़ा राज्य है । इस राज्य के उत्तर में बीकानेर तथा और जौ पैदा होता है। नदी के किनारे २ कुएँ बनाये जैपुर के शैखावतो के जिले हैं। पूर्व में जैपुर और जाते हैं जो सिंचाई का काम देते हैं और आस पास' किशनगढ़, दक्षिण में सिरोही और पालनपुर, पश्चिम के गावों में लोग उन्हीं कुओं से पानी पीते हैं । नदी में कछ का रन, थार, और सिन्ध प्रान्त का पारकर कुछ ऐसे भाग में होकर बहती है कि एक किनारे तो जिला है. राज्य को सब से अधिक लम्बाई २९० मील इसके हरे भरे हैं किन्तु दूसरा किनारा ठोक उसी के और अधिक से अधिक चौड़ाई १३० मील है । इप्तका सामने का सुन्सान उजाड़ दिखाई पड़ता है। उसी क्षेत्रफल ३६,०७१ वर्गमील है। यह राजपूताना में तरह एक किनारे का पानी मीठा होता है और दूसरे मबसे बड़ा राज्य है। यहाँ की जनसंख्या २१,३४,८४८ किनारे का नमकीन । नदी के कछार में सिंघाड़ा और है जलवायु शुष्क है । दिन में कड़ाके की गरमी तथा तरबूज पैदा किए जाते हैं । जाजरी, मूकरी, गुयावाला, लू चलती है और रात में जाड़ा पड़ता है। रेरिया, बाँदी, जोवाती आदि नदियाँ लूनी की सहायक इस राज्य की सब से प्रसिद्ध नदी लूनी है । यह हैं। यहां सब से प्रसिद्ध झील सांभर की है जहां से अजमेर के समीप एक झोल से निकलती है । श्रागे सांभर नमक मिलता है । दोदवाना, पचपदरा झीलों इसका. नाम सागरमती है किन्तु गोविन्द गढ़ के से १४३ लाख मन नमक निकलता है । साचर नामक समीप सरस्वती से मिल जाने के बाद इसका नाम जिले में एक झील है जो बर्सात में लगभग ५० वर्ग --