अङ्क १-४] राजपूताना फौज लेकर राज्य पर आक्रमण किया। १५६१ ई० जागीरों की आय राज्य की आय के दोगुनोसे कहीं में अकबर का अाक्रमण हुआ। महाराज जोधपुर ने अधिक है। अपने पुत्र को बादशाह के पास भेजा। जब उदय राज्य के अन्दर ५५ युद्ध-क्षेत्र की बन्दूकें. १२५ सिंह राजा बने तो इन्होंने जोधाबाई का व्याह अक- दूसरी बन्दूकें, ३२० बन्दूक चलाने वाले, ३.४९९ सवार बर से कर दिया। अकबर ने जोधपुर राज्य को भूमि और ५,९५४ पैदल सिपाही हैं । जोधपुर नगर के चारों वापस दे दी और उदयसिंह व उदयसिंह के रिश्तेदारों ओर एक मजबूत पत्थर की दीवार है जो ६ मील को दरवार में अच्छी अच्छी जगहें दी । फिर राजा लम्बी है । इसमें ७० दर्वाजे हैं जिन पर जो रास्ता सूर और जसवंत सिंह हुए । जसवन्त अफगानिस्तान जहाँ जाता है वहाँ का नाम लिखा है । ८०० फुट ऊँची जोधपुर का दूसरा दृश्य युद्ध पर भेजा गया किन्तु वह रास्ते ही में मर गया। पहाड़ी पर किला है । नीचे नगर बसा है । जहाँ सर- उसका पुत्र अजीत सिंह गद्दी पर बैठा । दारों, टाकुरों और राजा के रहने के मकान हैं। इसी समय औरंगजेब ने जोधपुर पर आक्रमण मकानों की कारीगरी देखने योग्य है। किया और सभी किलों पर कब्जा जमा लिया। उसके राज्य के वर्तमान नरेश हिज हाईनस गज राजे- पश्चात राठौर जाति को उसने मुसलमान बनाया । श्वर महाराजाधिराज सर उमेदसिंह जी बहादुर यह बात लोगों को अच्छी न लगी। जी० सी० एस० आई० जो० सी० आई० ई० के० महाराज जोधपुर को सभी माल व फौजदारी के सी० वी० ओ० ए० डी० सी० हैं। इनको १७ तोपों मुकदमों के करने का अधिकार है। यहां के अक की सलामी दी जाती है। सर हाकिम कहे जाते हैं । जागीरदार अपनी २ जागीरों राज्य-प्रबन्ध एक सभा (स्टेट काउन्सिल ) के भोतर मजिस्ट्रेट का कार्य करते हैं। राज्य की आय द्वारा होता है । इस सभा में ५ सदस्य होते हैं और ७२,००,००० है । जागीरदागे, ठाकुरों और धार्मिक महाराज इसके अध्यक्ष होते हैं । इसके सिवा मरदारों
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