पृष्ठ:भूगोल.djvu/५०

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अङ्क १-४] राजपूताना अधिकारी न रहा तो अँग्रेज सरकार ने नरूक लक्ष्मणगढ़, राजगढ़, थाना गाजी, बल्देवगढ़ और वंश के १ बारा कोतरियों में से मंगल सिंह नामी प्रतापगढ़ नामी चौदह तहसीलों में बँटा है। राज्य थाना वंश के ठाकुर को चुना। को आधी भूमि में खेती होती है। बाजरा, ज्वार, ० अलवर राज्य के राजे महाराव राजे कहलाते हैं। जौ, गेहूँ, चना, कपास, दाल, तिलहन, तम्बाकू, ऊख और उन्हें गोद लेने का अधिकार है। १८६६ के अफीम आदि को पैदावार होती है। संधि के अनुसार अंग्रेजी सिक्का राज्य में चलने राज्य की सालाना आय लगभग ३७,५०,००००० लगा। राजा ने रेलवे के लिये बिना मूल्य के जगह है ओर व्यय ३०,७९,००० रु० है। राजा एक काउ. दे दी । और उसके इन्तज़ाम का भो अधिकार न्सिल की सलाह से राज्य करता है। राजा किसी अँग्रेजों को दे दिया। देहली ब्रांच-राजपूताना स्टेट प्रकार का कर किसी को नहीं देता। राज्य के भीतर रेलवे राज्य को दो भागों में बांट देती है । और बहुत से स्कूल और औषधालय हैं । श्रागरा-जैपूर लाइन से बुदकुई नामक जङ्कुशन पर राजा के पास १८०० सवार, ४७५० पैदल, १० मिलती है । राज्य के अन्दर बिलायती और चूहर युद्ध क्षेत्र वालो और २९० दूसरी बन्दूकें हैं । ३६५ सिद्ध के मेले प्रसिद्ध हैं। व्यक्ति बन्दूक व तोप चलाने वाले हैं । राज्य, तिजारा, किशनगढ़, मन्दावर, बहरोर, बर्तमान नरेश हिज हाईनेस महाराजा श्री सवाई गोबिन्दगढ़, रामगढ़, अलवर, बनसूर, कतुम्बर, तेज सिंह जी बहादुर महाराजा अलवर हैं। 1 जयपुर राज्य जयपुर का राजपूताना में चौथा स्थान है। इस सन् १८८२-८५ में राज्य ने ३,८०,००० रु० सिंचाई की राज्य के उत्तर में बीकानेर, लोहारू, झाजर और उन्नति के लिए खर्च किया। उसी साल राज्य को पटियाला राज्य, पूरब में अलवर, भरतपुर और २,२०,००० रु० सिंचाई से मिला । करौली राज्य, दक्षिण में ग्वालियर, बूंदी, टोंक और राजधानी में एक टकसाल है जहां से सोने की मेवाड़ और पश्चिम में किशनगढ़, जोधपुर, और मुहरें, रुपये और तांबे के सिक्के ढाले जाते हैं । बोकानेर राज्य हैं । इस राज्य का क्षेत्रफल १५,५९० जयपुर अति प्राचीन समय में मत्स्य राज्य था। वर्ग मील है और जनसंख्या २६,३१,७७५ है । यहीं राना विराट राज्य करते थे। महाराज जयपुर राज्य में पहाड़ी श्रेणियां फैला हैं । बीच में त्रिभुजा- कछवाहा राजपूत हैं । यह लाग राम को सन्तान हैं। कार बराबर पठार है। यह पठार समुद्रतल से १४०० ९६७ ई० में धोलाराव ने इस राज्य की नींव डाली। से १६०० फीट तक ऊँचा है। यह पठार बनास नदी १७२८ ई. तक इस राज्य की राजधानी अम्बर रहा । की ओर क्रमशः ढालू है । जैपुर राज्य के पानी का १७२८ ई० में जैसिंह द्वितीय ने अम्बर को बदल कर बहाव पूर्व की ओर है। बनास, बान गंगा, अमानि- जैपुर या धूंदर को राजधानी बनाया । मुगल राजों के शाह, गम्भीर, बोंदी, मोरेल आदि नदियाँ हैं । जैपुर समय में जैपुर राज्य ने बड़ो उन्नति की और इस नगर में अमानिशाह नदी से पानी जाता है। राज्य घराने में बड़े बड़े राणा पैदा हुये । इस समय बदारमा में छोटे छोटे बहुत से जंगल हैं। जिनकी लकड़ी जैपुर का राजा था। राजपूत राजाओं में यह पहले जलाने के काम आती है। यहाँ बाजरा, मूंग, मोथी, राजा हैं जिन्होंने मुसलमान राजा को कर दिया । धार, तिल, दाल, इत्यादि वस्तुयें पैदा होती हैं। बदारमा के पुत्र भगवानदास थे। ये सबसे पहले सिंचाई का इन्तिजाम किया जा रहा है । प्रत्येक वर्ष राजपूत हैं जिन्होंने मुसलमान राजाओं से शादी ७५,००० रु० खेती की उन्नति पर खर्च किया जाता है। कर के राजपूत स्वच्छता पर दाग लगाया । इन्होंने