पृष्ठ:भूगोल.djvu/६१

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0 1 ६० भूगोल [वर्ष १६ इतिहास नारायणगढ़ रक्खा । इस वंश का १७२१-२२ ई० में नाश हो गया। मलहरराव अपनी सिपाहियाना होल्कर-वंश के राजा धानगर (गड़रियों) के वंशज खूबियों के कारण आगे बढ़ गये और आखिर- हैं । उनके बाप दादे पहले मथुरा और उसके आस कार पेशवा का ध्यान इनकी ओर आकर्षित हुआ पास के निवासी थे। वहां से वे दक्षिण की ओर चल १७२४ ई० मे पेशवा ने इनको बुलाया और ५०० कर पहले मेवाड़ में टिके फिर और दक्षिण की ओर घुड़सवारों का सरदार बना दिया । कादमबन्दे होल्कर चल कर औरंगाबाद प्रान्त में मीरा नदी के किनारे की इस तरक्की पर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने हाल या होल ग्राम में आकर बसे जो उस समय इनको फौज के आगे बन्दे वंश का झंडा लेकर चलने निमवल्कर राज्य में था और पूना से चालीस मील का हुक्म दे दिया । यह झंडा तिकोना लाल और है । उसी ग्राम के नाम पर इस वंश का नाम हालकर सफेद पट्टीदार है और आज तक होल्कर घराने का या होलकर पड़ा । मालीवा इस गांव का चागुला या चिन्ह है। मुखिया था। ग्यारहवीं पीढ़ीमें खान्डोजी होलकर पैदा मरहठों की ताक़त इस समय बढ़ रही थी। हुआ जिसके केवल एक ही पुत्र था जिसका नाम बालाजी विश्वनाथ पहले ही अप्रैल १७२० में मर चुके मल्हार राव हुलकर हुआ जो इन्दौर घराने की नीव थे। उनके सुयोग्य पुत्र बाजीराव ने शीघ्र ही अपनी डालने वाला है । मल्हार राव सन १६६४ ई० में पैदा तमाम ताक़त साथ मरहठों का सङ्गठन करना हुए, पिता के 'मरने पर माता के साथ खानदेश शुरू किया । उसका ध्यान पहले पहल मालवा की प्रान्त में तालोदा गांव में अपने मामा भोजराज ओर आकर्षित हुआ। १७२४ ई० में मुहम्मदशाह वर्गल के यहाँ जाकर रहने लगे। इनके मामा एक को निजामुल्मुल्क पर शक पैदा हुआ तो उसने सम्पन्न पुरुष थे। वह कुछ सवार अपने जमींदार, नागर ब्राह्मण गिरधर बहादुर को मालवा और गुज- सरदार, कादम बन्दे* के लिये रखते थे । मल्हारराव रात का सूबेदार बनाया। गिरधर बहादुर एक बहा- ने अपना नाम इन्हीं सवारों में लिखा लिया और दुर और सुयोग्य शासक था और हमेशा मरहठों से अपने चचा की लड़की गौतम बाई के साथ व्याह लड़ा करता था जिससे वे मालावार पर अपना अधि- कर लिया। गौतम बाई के भाई नारायण ने उदयपुर कार सदैव के लिए न जमा सकें। १७२५ ई० में निज़ाम के राना के यहाँ काफी ख्याति प्राप्त कर ली थी इसी और उसके भतीजे हमीद खां में झगड़ा हो गया । लिये बुधा ग्राम उनको जगीर मे मिला था । नारायण बाजीराव ने इसका लाभ उठाया और होलकर, ने आधा गाँव अपनी बहन को दिया जिसने सिंधिया और धार के पानवार को आज्ञा दी कि वे अपने पति मल्हारराव के नाम पर मल्हार मालवा से चौथ और सरदेश मुखी जो पूना को गढ़ रक्खा और नारायण ने अपने गाँव का नाम चाहिये वसूल करें और आधा मुकासा वे स्वयं अपनी फौज के खर्च के लिये ले लेवें।

  • बन्दे बीजापुर के राजों के समय बारगाँव के पटेल

मल्हारराव तो ऐसी ताक में थे ही, फौरन नर्मदा थे। जब शिवाजी तरक्की करने लगे तो अमृत राव जो पांचों नदी के तटीय विभाग पर चढ़ाई कर दी। १७२६ ई० में सबसे बड़े थे। शिवाजी के साथ हो गये दाभोद सेनापति के में गिरधर बहादुर मारा गया। उसके बाद उसके पुत्र साथ यह खानदेश चौथ के लिए भेजे गये, और उनको जो दयाबहादुर ने लड़ाई जारी रक्खी और अपने देश भूमि प्राप्त हुई उसका आधा इनाम के तौर पर इनको दिया की रक्षा बहादुरी के साथ करता रहा । १७३१ ई० में गया जिसका मूल्य ६०,००० था, अमराना गाँव की चढ़ाई मे निजाम ने स्वयं अपनी इच्छा की पूर्ति के लिये अमृतराव मारे गये और दूसरे भाई गुजरात भेजे गये। बाजीराव से कहा कि मालवा प्रदेश में चढ़ाई की राजा साहू ने अपनी पुत्री गजरा बाई मल्हारराव बन्दे को जाय । १७३२ ई० में पेशवा के भाई चिमनजी ब्याह दी । बन्दे नाम उसी झरे से निकाला है जो वह लेकर अप्पा के अधिकार में एक सेना भेजी गई । चलते थे। होल्कर भी साथ गया । दयाबहादुर धार के समीप