पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/११२

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दूसरा भाग
 


लोग उसी के लिये बन्दोवस्त कर रही है।

लौंडी०। (ताज्जुब के साथ) है, भूतनाथ कैदखाने से छूट गया, ओर चन्दो बीबी की मदद से!!

विमला। हाँँ ऐसी ही बात है, किसी दूसरे वक्त इसका खुलासा हाल तुम्हें मालूम होगा, इस समय मैं उसी पहाड़ी पर जाती हूँँ और भूतनाथ को गिरफ्तार करती हूँँ।

कला०। मगर वहिन, मै इस राय के विरुद्ध हूँ !

विमला०। क्यो?

कला० । देखो, सोचो तो सही कि इस तरह कई जगहो पर आग सुल- गाने या वालने से भूतनाथ का क्या मतलब है!

विमला० । (कुछ सोच कर) जहाँ तक मै समझती हूँँ इस कार्रवाई से भूतनाथ का यही मतलब होगा कि हमलोगो को धोखा देकर उस तरफ बुलावे और किसी जगह पर आड़ में छिपे रह कर हमारे ऊपर वार करे।

कला०। वेशक, क्योकि प्राग के पास पहुच कर हमलोग उसे ढूंढ़न सकेंगे । दस्तूर की बात है कि जो कोई सुलगती हुई आग के पास रहता है वह सामने की तरफ को किसी चीज को नहीं देख सकता । वहाँँ तो कई जगह पर आग सुलग रही है, उसके बीच में जाकर हमलोग किसी तरफ भी निगाह करके दुश्मन को नहीं देख सकेंगे।

विमला०। ठीक है मगर हमलोगों पर इस समय उसका कोई हरवा काम नही कर सकता।

कला०। तथापि हर तरह से बच के काम करना चाहिए, विशेष कर हो इसलिये कि इन्दु बहिन हमारे साथ है, यघपि ये यहाँ के सब भेदों को जान गई है और हम लोगो का साथ हर तरह से दे सकती है।

इन्दु०। मेरे लिए कोई ताज्जुब न करो, मैं तुम लोगों के साथ बखुबी चल सकती हुँँ मगर में यह पूछती हूँ कि ऐसा करने की जरूरत क्या है और इस काम में जल्दी किये बिना हर्ज हो क्या होता है? सम्भव है कि नूत-