पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१११

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भूतनाथ
 



दर्वाजे ऐसे न थे कि बन्द कर देने पर कोई जबर्दस्ती या सहज ही में खोल सके तथा और बातों में भी वह एक छोटा मोटा तिलिस्म या कारीगरी का खजाना ही समझा जाता था । यद्यपि यह बंगला ऐसी हिफाजत की जगह में था जहा बदमाशो का गुजर नही हो सकता था तथापि उसकी हिफाजत के लिए कई लौंडिया मुकर्रर थी जो मर्दानी सूरत में पहरेदारी के कायदे से उसके चारो तरफ बराबर घूमा करती थी।

कला विमला और इन्दु ने वहाँँ पहुँँच कर उस बंगले के दर्वाज बन्द करने शुरू कर दिये । पहिले बाहर से भीतर आने का रास्ता रोका, इसके बाद कई जरूरी चीजें उनमें से निकालने के बाद आलमारियो में ताले लगाये और तब भीतर के कमरे सब बन्द कर दिये । इतना कर वे एक छोटे गुप्त रास्ते को बन्द करती हुई बाहर निकली ही थी कि एक पहरेदार लौंडी के जोर से चिल्लाने की आवाज आई।

तीनो औरतें कदम बढ़ाती हुई बंगले के सदर दर्वाजे पर पहुँँची जहाँँ नाम मात्र के लिए पहरा रहा करता था या जिधर से पहरेदार लौंडी के चिल्लाने की आवाज आई थी। वह लौंडी मर्दाने भेष में थी और घबराई हुई मालूम पडती थी। बिमला ने पूछा-"क्या मामला है, तू क्यों चिल्लाई?"

लौंडी। मेरो रानी, देखो उस पहाडी को तरफ जिधर कैदखाना है और जहाँँ भूतनाथ कैद है, कई जगह आग की धूनी जल रही है। मालूम होता है मानों बहुत से आदमियों ने आकर उस पहाडी पर दखल जमा लिया है । अगर ये आग की घूनियाँ आपकी तरफ से नहीं सुलगाई गई है तो जरूर किसी आने वाली आफत की निशानी है, और मुझे विश्वास है कि आपने इसके लिये कोई हुक्म नही दिया होगा।

विमला०। (ताज्जुव के साथ उस पहाड़ी की तरफ देख कर) वेशक यह नई बात है, मैने ऐसा करने के लिये किसी को हुक्म नही दिया, मगर घबड़ाने की कोई बात नहीं है, जहाँ तक मैं समझती हूँ यह भूतनाथ की कार्रवाई है क्योंकि चन्दो की मदद से भूतनाथ कैद से छूट गया, और हम