पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१५२

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दूसरी .. , , है क्योंकि उन घाटियो में रहने वालो के प्रान जाने के लिए और भो कई रास्ते मौजूद हैं, अव इन रास्तो से कोई या जानही सकता तुम इस तरफ से विल्कुल बेफिक्र रहो, मगर इस राह से उस तरफ जाने का उद्योग कभी न करना। भूत । जी नहीं, मै तो उस तरफ जाने का ख्याल कमी करता ही नहीं, परन्तु आज कल उस तरफ वाली घाटी में बहुत से प्रादमी पाकर बस गये हैं और वे सब मेरे साथ दुश्मनो करते है वस इसीलिए जरा खयाल होता है । साधू० । ( लापरवाही के साथ ) खैर मगर उस घाटी में कोई रहता भी होगा तो यहा अर्थात् इस घाटी में प्राफर तुम्हारे साथ कोई बुरा वर्ताव नहीं कर सकता। यो तो दुनिया में सभी जेगह दोस्त और दुश्मन रहा करते हैं, उनका बन्दोबस्त दूसरे ढंग पर कर सकते हो। भूत । जैसी मर्जी प्रापको। साधू० । हा, वेहतर यही है कि तुम वेफिक्रो के साथ यहा रह कर अपने दुश्मनों का प्रबन्ध करो और मेरा इन्तजार करो, मैं बहुत जल्द इसी घाटो में प्राकर तुमसे मिलूगा । उमो समय मै तुमको कुछ पोर भो लाभ- दायक वस्तुएं दूगा और कुछ उपदेश भी करूंगा। इतना कह कर साधू धागे की तरफ बढ़े और बहुत जल्द उस दर्वाज के प स जा पहुंचे जिसे विमला ने बन्द कर दिया था। जिस तरह से विमला ने उस दर्याजे को बन्द किया था उसी तरह साधू ने उसे खोला और सोलने तथा बन्द करने का ढग भो भूतनाथ को बता दिया। प्रय भूतनाथ सहज ही में साधू के साथ घाटी के अन्दर जा पहुंचा और अपने मात्रियों ने मिल कर बहुत प्रसन्न हमा। बातचीत करने पर मालूम हुप्रा कि उसके सायी लोगों ने कई दफे श घाटी के बाहर निकलने का उघोग किया था मगर गस्ता वन्द होने के कारण बाहर न जा सके और इस वजह से वे लोग बरत घबरा रहे थे। भूतनाथ ने अपने सब साधियों में बाबाजी की मेहरवानी का हाल बयान शिया मोर उन सभों को महात्मा यो पैरों पर गिराया । भूतनाप यश पे जानता था कि साधू महाशय मुझ पर वडी कृपा कर