पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१७६

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१६ दूसरा भाग भूतनाथ बड़ा ही चालाक और काइयां था और उसने प्रभाकरसिंह को वुरा धोखा दिया । हमदर्दी दिखा कर जरुम घोने के बहाने से वह बेहोशी को दवा का बर्ताव कर गया। जो पानी वह अपनी गुफा में से लेकर पाया था उसमें जहरीली दवा मिली हुई थी मगर वह दवा ऐसी न थी जिससे जान जाती रहे बल्कि ऐसी थी कि खून के साथ मिल कर वेहोशी का असर पैदा करे। जव प्रभाकरसिंह बेहोश हो गये तब भूतनाथ ने पहिले तो प्रगूठी और तलवार पर कब्जा किया मोर बहुत ही खुश हुप्रा, इसके बाद प्रमाकरसिंह को गठडी में बांध पीठ पर लाद अपनी घाटी की तरफ रवाना हुप्रा । वेवारे प्रभाकरसिंह पुन. भूतनाय के फन्चे में फंस गए, देखा चाहिए प्रव भूतनाथ उनके साथ क्या सलूक करता है। नौवां बयान प्रवकी दफे भूतनाथ ने प्रमाकरसिंह को बडी सख्ती के साथ कैद किया, पैरो वेठी पोर हायो में दोहरी हथकडी डाल दी और उसी गुफा के अन्दर रख दिया जिसमें स्वयम् रहता था और उसके (गुफा के) बाहर प्राप चार पाई डाल कर रात को करा देने लगा। भूतनाथ ने बहुत कुछ दम दिलासा देकर प्रभाकरसिंह से जमना और सरस्वती का हाल पूछा मगर उन्होने उनका कुछ भो भेद न वताया,इस पर भो भूतनाथ ने प्रभाकरसिंह को किसी तरह का दु.प नहीं दिया, हा इस वात मार गयाल रक्या कि वे किसी तरह भाग न जाय । इसी तरह प्रभाकारसिंह की हिफाजत करते करते बहुत दिन गुजर गये मगर भूतनाथ की इच्छानुसार कोई कार्रवाई नहीं हुई। भूतनाय ने जमना मोर सरस्वती के विषय में नो पता लगाने के लिये बहुत द्योग किया मगर कुछ नतीजा न निकला। गतनाप ने अपने गईशागिर्दो को तरह तरह का काम सुपुर्द करके चारो