मरे हर घोडे पर पड़ी जिस पर अभी तक चारजामा कसा हुआ था। वे सब ताज्जुब में आकर उसके पास गई और गौर से देखने लगी । वह घोडा कई जगहो से जख्मी हो रहा था जिससे गुमान होता था कि किसी लडाई में इसके सवार ने बहादुरी दिखाई और अन्त मे किसी सबब से यह भाग निकला है, सम्भव है कि इसका सवार लडाई मे गिर गया हो। मगर इस बात पर भो बिमला का विचार नहीं जमा, वह यही सोचती थी कि जरूर यह अपने सवार को लेकर भागा है, अस्तु विमला आख फैला कर चारो तरफ इस खयाल से देखने लगी कि शायद इस घोडे की तरह गिरा हुआ कोई आदमी भी कही दिखाई दे जाय ।
विमला कला और इन्दुमति घूम घूम कर इस बात का पता लगाने लगी और आखिर थोड़ी देर में एक आदमी पर उनकी निगाह पड़ी। ये सब तेजी के साथ घबराई हुई उसके पास गई और देखा कि प्रभाकरसिंह बेहोश पडे हुए है, उनका कपडा खून से तरबतर हो रहा है और उनके बदन में कई जगह तलवार के जख्म लगे हुए है तथा सर पर भी एक भारी ज़ख्म लगा हुआ है जिसमें से निकलते हुए खून के छींटे चेहरे पर अच्छी तरह पडे हुए है । लढाई के समय जो तलवार उनके हाथ में थी इस समय भी उसका कव्जा उनके हाथ ही में है।
प्रभाकरसिंह को इस भवस्था मे देखते ही इन्दुमति एक दफे चिल्ला उठी और उसकी आंखों में आंसू भर आए,परन्तु तुरत ही उसने अपने दिल को संभाल लिया और जमना तथा सरस्वती की तरफ देखा जिनकी आंखों से आंसू की धारा वह रही थी और जो बडे गौर से प्रभाकरसिंह के चेहरे पर निगाह जमाये हुए थी।
इन्दुः । (जमना से) वहिन, तुम इनके चेहरे की तरफ क्या देख रही हो ? जो बातें देखने लायक है पहिले उन्हें देखो इसके बाद रोने धोने का खयाल करना।
जमना० । ( ताज्जुब से ) सो क्या है ?