पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/२४०

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दूधरा भाग इसो घोष में एकाएक गाने को सुरोली मावाज भूतनाप के कानों में पडो जो कि किसी औरत को मालूम पड रही थी और उन्ही दोनों में से एक दर्वाजे के अन्दर से पा रही थी तथा षोडी देर बाद ही पखावज तपा कई पाजेबो के बजने की पावाज पाई जो सम भोर ताल से खाली न पी। कभी कभी गाने को भावाज एक दम धन्द हो जाती और केवल पाजेब ही की पावाज सुनाई देती जिससे भास होता कि वे सब मौरतें (या जो कोई हो ) पखावज की गत से साथ मिल कर नाच रही हैं। प्रम भूतनाप से ज्यादे देर तक ठहरा न गया और वह हाथ में मोम- वत्तो लिये हुए उस दर्वाजे के अन्दर घुस गया जिसके अन्दर से गाने तथा घुघरू के बजने की मावाज पा रही थी। दर्वाजे के अन्दर पैर रसते ही भूतनाथ को मालूम हो गया कि यहां तो वासी लम्बी चोठी इमारत बनी हुई है और ताज्जुब नहीं कि कुछ मोर मागे बढ़ने से बडे बडे दालान और कमरे भी दिखाई पड़ें। वास्तव में पात भी ऐसी हो घो। कुछ दूर प्रागे बनते ही भूतनाथ ने उजाला पाया मौर देखा कि एक सुन्दर दानान में चार या पाच मोरतें हाथ में मशाल लिये पढो है मोर कई पोरते गा मजा तथा कई नाच रहो है । यद्यपि भूतनाण के दिल में मागे बढ़ कर देखने और उन लोगों को परिचानने का उत्साह भरा हुमा पा मगर साप हो इसके वह हरता मो पा कि पागे पढने से कही मुझ पर कोई प्राफन न पावे। भूतनाप ने मोमबत्ती बुझा फर बटुए में रख ली पोर हाथ में संजर • नेकर वे कदम घोरे धोरे मागे वढने लगा। प्रोफ, यह क्या भूतनाथ के लिये कोई कम पाश्चर्य की बात है कि उन औरतो में भूतनाग ने अपने प्यारे शागिर्द रामदास को मो नाचने हुए देखा और मालूम किया कि वह पपनी धुन में ऐमा मस्त हो रहा है कि उसे किसी बात को मानों परवाह हो नहीं है सबसे ज्यादे माश्वयं को बात तो यह थी कि यह (रामदास ) 3