पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/२६१

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भूतनाथ तक कम उम्र नागर की हैसियत बढ़ी नहीं है फिर भी उसको चालाकियो का जाल अच्छी तरह फैल चुका है जिसका एक सिरा जमानिया राजधानी में भी जा पहुचा है क्योकि उस मनोरमा से इसकी दोस्ती अच्छी तरह हो चुकी है जिसने जमानिया की खराबी मे सबसे बड़ा हिस्सा लिया हुआ था। नागर सीढियो मे नीचे उतर कर नजरवाग मे होती हुई सदर फाटक पर पहुंची और उसे वन्द करके एक मजबूत ताला उपकी कुण्डी मे लगा दिया। इसके बाद लौट कर मकान की सीढियो पर चढने वाला दर्वाजा भी मच्छी तरह बन्द करके अपने कमरे में चली आई। लौंडी को कमरे का फर्श साफ करने की आज्ञा देकर नागर ऊपर छत पर चढ गई जहां एक बगला था और इस समय उसके वाहर ताला लगा हुपा था जिमे खोल कर नागर वगले के अन्दर चली गई। यह बगला वहुत खुलासा और मामूली ढग पर सजा हुआ था। जमीन पर साफ सुथरा फर्श विछा हुआ था. एक तरफ मुन्दर मसहरी बिछी हुई थी तथा छोटे बडे कई तकिए फर्श पर पड़े हुए थे । मगर यह कमरा खाली न था, इसमे इस समय मनोरमा बैठो हुई थी और जमानिया राजधानो का वेईमात दारोगा (बावाजो) भी उसके साय था । नागर भी उन दोनो के पास जा कर बैठ गई। तीसरा बयान अव हम अपने पाठको को पुन उस घाटी में ले चलते है जिसमें कला और विमला रहती थी और जिममे भूतनाथ ने पहुच कर वडी ही सगदिली का काम किया था अर्थात् कला विमला और इन्दुमति के साथ ही साथ कई लौडियो को भी कुए मे टकेल कर अपनी जिन्दगी का भाईना गदला किया था। भूतनाथ यद्यपि अपने शागिद रामदास की मदद से उस घाटी मे पहुँच गया था और अपनी इच्छानुसार उसने सब कुछ करके अपने दिल का गुवार निकाल लिया था मगर घाटी के वीच वाले उस वगले के सिवाय