पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/५०

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पहिला हिस्सा
 


इसके जवाब में विमला ने खुलासा हाल जिस तरह प्रभाकरसिंह को सुरंग के अन्दर धोखा देकर अपने कब्जे में ले आई थी बयान किया जो कि हम चौथे बयान में लिख चुके हैं। अब हमारे पाठक समझ गए होंगे कि भूतनाथ के पीछे पोछे सुरंग के अन्दर चलने वाले प्रभाकरसिंह को जिन्होने धोखा देकर गायब किया वे विमला और कला यही दोनो बहिनें थी और यह काम उन्होने नेकनीयती के साथ किया था ऐसा ही इन्दुमति का विश्वास है। खुलासा हाल सुन कर इन्दुमति कुछ देर तक चुप रही फिर बोली-

इन्दु० । अच्छा यह बताओ कि मेरे आने की उन्हे खबर भी है या नहीं?

विमला० । कुछ कुछ खबर है । तुम्हारे लिए वे बहुत ही बेचेन हैं, कलपते है, रोते है, मगर फिर भी भूतनाथ का पक्ष नही छोड़ते ।

इन्दु० । तुमने अपने को उन पर प्रकट कर दिया ?

विमला० । हं, भेद छिपा रखने की कसम खिला कर मैने उन्हें बतला दिया कि हम दोनो बहिनो जमना और सरस्वती हैं जिसे जान कर वे बहुत ही प्रसन्न हुए मगर इस बात पर उन्हें विश्वास नही हुआ कि भूतनाथ मेरे पति का घातक है । गुलाबसिंह भूतनाथ का दोस्त है और गुलाबसिंह पर उन्हें पूरा विश्वास है।

इन्दु० । अच्छा तुम मुझे उनके सामने ले चलो देखें वे क्योकर राजी नहीं होते और कैसे तुम्हारा साथ नही देते ।

विमला०। मुझे इसमे कोई उज नहीं है मगर तुम हर एक बात को अच्छी तरह सोच विचार लो।

इन्दु० । (जोर देकर) कोई परवाह नहीं, तुम वहा चलो, (कुछ सोच के) मगर मैं अपनी सूरत मे उनके सामने जाऊंगी।

विमला० । जैसी तुम्हारी मर्जी । चलो पीछे की तरफ लौटो, एकसुरंग के रास्ते पहिले ( उँगली का इशारा करके ) उस बीच वाले बंगले में पहुँचना होगा तब उनके पास जा सकोगी।