१ | पहिला हिस्सा |
रात्रि का समय भी है, इसलिए यहाँ पर इन दोनो की खूबसूरती तथा नखशिख का वर्णन करके हम शृंगार रस पैदा करना उचित नही समझ कर केवल इतनाही कह देना काफी समझते हैं कि ये दोनों सौ दो सौ सूबसूरतो में खूबसूरत है । इन दोनो की अवस्था इनकी बातचीत से जानी जायगी अस्तु पाइए और छिप कर सुनिए कि इन दोनो मे क्या बातें हो रही है।
पौरत० । वास्तव में हमलोग बहुत दूर निकल पाए । मर्द० । अव हमे किमी का डर भी नहीं है।
औरत० । है तो ऐसा ही परन्तु घोडो की तरफ से जरा सा खुटका होता है, क्योकि हम दोनो के मरे हुए घोड़े अगर कोई जान पहिचान का आदमी देख लेगा तो जरूर इसी प्रान्त मे हम लोगो को खोजेगा।
मर्द० । फिर भी कोई चिन्ता नहीं, क्योकि उन घोटो को भी हम लोग कम से कम दो कोस पीछे छोड पाए हैं।
औरत० । वेचारे घोडे अगर मर न जाते तो हमलोग ओर भी कुछ दूर भागे निकल गए होते।
मर्द० । यह गर्मों का जमाना, इतने कडाके की धूप और इस तेजी के साथ इतना लम्बा सफर करने पर भी घोडे जिन्दा रह जायं तो बडे ही ताज्जुब की बात है।
औरत० । ठोक है, अच्छा यह वताइए कि अव हम लोगो को क्या करना होगा?
मर्द०। इसके निवाय और किसी बात की जरूरत नहीं है कि हम लोग किसी दूसरे गज्य की सरहद में जा पहुच । ऐसा हो जाने पर फिर हमें किसी पा डर न रहेगा, क्योंकि हम लोग किसी का गून करके नहीं भागे है, न किली की चोरी की है, थोर न किसी के साथ अन्याय या अधर्म करफे भागे है, बल्कि एक अन्यायी हारिम के हाथ से अपना धर्म बचाने के लिए भागे है । ऐसी अवस्था में किसो न्यायो राजा के राज्य में पहच जाते हो हमारा कल्याण होगा।