पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/७३

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७८- भूतनाथ इन्दुमति को साथ लेकर वहा से हट जाना मुनासिव है, तो. विमला० । (वात काट कर) नही नहीं यदि मैं ऐसा करती तो प्राप मुझ पर कदापि विश्वास न करते और भुतनाथ तथा गुलाबसिंह का साथ न छोडते, साथ ही इसके यह भी असम्भव था कि वहा पर मैं सविस्तार अपना हाल कह कर भापको समझाती, भूतनाथ के ऐवों को दिखातो अथवा उचित अनुचित पर वहस करती, बल्कि इन्दु । (वात काट कर, प्रभाकरसिंह से) खैर इन सब बातो से क्या फायदा, जो कुछ हुमा सो हुना अब आगे के लिए सोचना चाहिए कि हम लोगो का कर्तव्य क्या है और क्या करनाहोगा। मैं इतना जरूर कहूगी कि हमारो ये दोनो जमाने के हाथो से सताई हुई वहिने इस योग्य नहीं हैं कि इन पर वदनीयती का धब्बा लगाया जाय। हा यदि कुछ भूल समझी जाय तो वह बडे बडे बुद्धिमान लोगो से भी हो जाया करती है । साथ ही इसके यह भी मानना पडेगा फि ग्रहदशा के फेर में पडे हुए कई आदमी एक साथ मिल कर मुसीवत के दिन काटना चाहें तो सहज मे काट सकते हैं बनि- स्वत इसके कि वे सब अलग अलग होकर कोई कार्रवाई करें, भाप यह सुन ही चुके हैं कि ये दोनो (कला और विमला) किस तरह जमाने अथवा भूननाथ के हाथो से सताई जा चुकी है अस्तु हम लोगों का एक साथ रहना लाभदायक होगा। प्रभा०॥(इन्दु से) तुम्हारा कहना कुछ कुछ जरूर ठोक है । मैं इस वात को पसन्द कर सकता हू कि तुम यहा कुछ दिनों तक अपनी बहिनो के साथ रहो जब तक कि मैं अपने दुश्मनों पर फतह पाकर स्वतत्र और निश्चिन्त न हो जाऊ । मुझे इस वात की जरूर खुशी है कि तुम्हारे लिए एक अच्छा टिकाना निकल पाया है मगर मैं हाय पैर तुडा कर यहा नहीं रह सकता। इन्दुः । मगर मापको इन दोनों की मदद जरूर करनी चाहिये । प्रभा० । इसके लिए मैं दिलोजानसे तैयार हू, मगर अभी मैं भूतनाथ ये साप दुश्मनी न करूंगा जब तक कि अच्छी तरह जाच न कर लू और