पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/९३

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भूतनाथ और तब तुम मुझे वेअन्दाज दौलत देकर मालामाल कर दो इसके अतिरिक्त इस कैदखाने की ताली खुद मालकिन के कब्जे में है। 'भूत० } नही नही , मैं यह नहीं कहता कि तुम मुझे इस कैदखाने से बाहर कर दो। औरत। अगर ऐसा नही है तो तुम मुझे किस काम के लिए और कहाँ से दौलत दे सकते हो। भूत० ० । मेरे मकान में जो कुछ दौलत है उसका तो कोई ठिकाना ही नही ; मगर मेरे पास भी हर दम बटुए में दो चार लाख रुपये की जमा मौजूद रहती है । तुम कह सकतो हो कि इस समय तो तुम्हारे पास तुम्हारा वटुग्रा भी नही है औरत० । हा हा मैं यही कहने वाली थी, बल्कि यह भी समझ रखना चाहिए कि इस समय वह वटुया जिसके कब्जे में होगा उसने वह रकम भी जरूर ही निकाल ली होगी। भूत० ० । (कुछ बनावटी हसी के साथ) नही नही , इस बात का तो तुम गुमान भी न करो कि वह रकम निकलो गई होगी, क्योंकि उसमें कोई जवाहिरात की डिविया नही है या कोई ऐसी चीज नही है जिसे कोई देखते ही दौलत समझ ले, वल्कि उस बटुए में कोई ऐसी चीज है जिसे मेरे सिवाय कोई बता नहीं सकता कि यह दौलत है और जो किसी अन- जान की निगाह मे विरकुल रद्दी चीज है, बल्कि यो समझो कि जहा दौलत रक्खी हुई है वहा की ताली उस वटुए में है जिसको कलई मेरे सिवाय कोई पोल ही नहीं सकता और न मेरे वताए विना कोई पा ही सकता है। वह दौलत जो लगभग चार पाच लाख रुपये के होगी मैं सिर्फ इतने ही काम के बदले में दे दिया चाहता हूं कि वटा मुझे ला दिया जाय और वतला दिया जाय कि यह स्थान किसका है और मै पिसका दी है। मैं समझता है कि मैं जरूर मार ही डाला जाऊँगा, अन्तु ऐसी अवस्या में अगर वह दौलत किसी नेक रहमदिल और >