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पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१००

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[ ९ ] पीयूप तें मीठे फले कितहूँ रसाल रसाले हैं ॥ २१ ॥ पुन्नागें कहुँ कहुँ नागकेसरि कतहुँ बकुल असोक हैं।. . कहुँ ललित अगर गुलाव पाटर्ले पटले वेला थोक हैं ।। कितहूँ नेवारी माधवी सिंगारहार कहूँ लसै। जहँ भाँति भाँतिन रंग रंग विहंगआनँद सोरसे ।।२२।। पट्पद लसत विहंगम बहु लर्वनित बहु भाँति वाग मह । कोकिल कीर कपोत केलि कल कल करंत तहँ ॥ मंजुल महरि मयूर चटुले चातक चकोर गन । पियत मधुर मकरंद करत झंकार भंग धन ॥ भूषन सुवास फल फूल युत छहुँ ऋतु बसत वसंत जहँ । इमि रायदुग्ग राजत रुचिर सुखदायक सिवराज कहँ ।।२३।। ) आम का पेड़। २ रसीला। ३ देववल्लभ; एक बड़ा पुष्पवृक्ष । ४ गोला विरंग, एक लाल और सफ़ेद फूल । ५ पर्दा। ६ चंद्रवल्ली, एक लता। ७ हरसिंगार, एक पुष्पवृक्ष । ८ सलोने। चंचल। १० पुष्परस । पराग।