पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१६४

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[ ७३ ] सम लक्षण-दोहा जहाँ दुहूँ अनुरूप को करिए उचित बखान । सम भूपन तासों कहत भूपन सकल सुजान ।।२०८।। उदाहरण-मालती सवैया पंज हजारिन' बीच खड़ा किया में उसका कुछ भेद न पाया । भूपन यो कहि औरंगजेब उजीरन सों बेहिसाव रिसाया । कम्मर की न कटारी दई इसलाम ने गोसलखाना बचाया। जोर. सिवा करता अनरत्थ भली भइ हत्थ हथ्यार न आया ॥२०९।। पुन:-दोहा कछु न भयो बेतो गयो, हासो सकल सिपाह । भली करै सिवराज सों, औरँग कर सलाह ॥२१०|| विचित्र लक्षण-दोहा जहाँ करत हैं जतन फल, चित्त चाहि विपरीत । भपन ताहि विचित्र कहि, वरनत मुकवि विनीत ।।२११।। १ पांच एजार सेना जिस सरदार के अधिकार में हो। शिवाजी औरंगजेब क. दरवार में पंजापारियों में खड़े किए गये थे जिस पर वे विगढ़ उठे थे। पहले वादा प्रथम श्रेणी में स्थान मिलने का हुआ था, किन्तु पीछे अपनी मामी ( शाइस्तारखाँ की बेगम ) के कहने पर औरंगजेब ने पहला हुक्म रद कर के शिवाजी को तृतीय श्रेणी में: खदा किया।