पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१७४

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[ ८३ ] यथासंख्य लक्षण-दोहा क्रम सों कहि तिनके अरध क्रम सों बहुरि मिलाय । यथासंख्य ताको कहें भूपन जे कविराय ।। २३८ ।। उदाहरण- कवित्त मनहरण जेई चहो तेई गही सरजा सिवाजी देस संके दल दुवन के जे वै बड़े उर के। भूपन भनत भौसिला सों अब सनमुख कोऊ ना लरैया है धरैया धीर धुर के || अफजल' खान रुसामे जमान फत्ते ३ खान खूटे कुटे लूटे ए उजीर विजेपुर के। अमर सुजान मोहकम" इखलास खान खाड़े छाँड़े डाड़े उमराय दिलीसुर के ।। २३९ ॥ १ छंद नं०६३ का नोट देखिए । २ सन् १६५९ के दिसम्बर में इसको शिवाजी से परनाले के निकट मुठभेड़ हुई और शिवाजी ने इसकी सेना का बड़ा ही भयंकर पातलआम किया तथा इसे कृष्णानदी के उस पार तक खदेता। इसका शुद्ध नाम रुस्तमें पामा था। भीतर से यह शिवाजी से मिला हुआ था। ३ सन् १६७० में शिवाजो से जंजीरा के किले में लदा। यह शिवाजो से मिल गया और इस कारण इसके तीन साथियों ने इसे बंदी कर लड़ाई जारी रखी। ४ छ० नं० ९७ का नोट देखिए । ५ मोएकमसिंह अमरसिंह का लड़का था। सन् १६७१ में सलहेरि के युद्ध में मराठों ने इसे बंदी करके छोड़ दिया तथा इसके पिता अमर सिंह को मार डाला। ६ किसी किसी प्रति में खलासखों की जगह में बहलोलखा पाठ है, किन्तु कथन