पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२०५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[ ११४ ] उदात्त लक्षण-दोहा अति संपति वरनन जहाँ तासों कहत उदात । कै आनै सु लखाइए बड़ी आन की बात ।। ३३५ ।। __ अति सम्पत्ति-उदाहरण-कवित्त मनहरण द्वारन मतंग दीसैं आँगन तुरंग हीसे वंदीजन वारने असीसैं जसरत हैं। भूपन वखानै जरवाफ के सम्याने ताने झालरन मोतिन के झुण्ड झलरत हैं। महाराज सिवा के नेवाजे कविराज ऐसे साजि कै समाज जेहि ठौर विहरत हैं। लाल करें प्रात तहाँ नीलमनि करें रात याही भाँति सरजा की चरचा करत हैं ।।३३६॥ दूसरे को बड़ी बात दिखलाना जाहु जनि आगे खता खाहु मति यारौ गढ़ नाह के डरन कहें खान यों वखान के। भूपन खुमान यह सो है जेहि पूना माहिँ लाखन मैं सासता' खाँ डायो विन मान कै ॥ हिंदुवान द्रुपदी की ईजति वचैवे काज झपटि विराटपुर वाहर प्रमान कै । वहै है सिवाजी जेहि भीम है अकेले माखो अफजल कीचक को कीच घमसान कै॥ ३३७ ॥ १ दरवाजों पर अथवा वार वार । २ शाइस्ता खाँ। छं० ३५ का नोट देखिए । ३ राजा विराट का साला जिसने द्रौपदी का सतीत्व भंग करना चाहा था। इसेः । भीमसेन ने मार डाला। (महाभारत, विराट पर्व।)