पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२०४

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[ ११३ ] कुंजरन परी कठिन कराह है ॥ सिंह सिवराज सलहेरि' के समीप ऐसो कीन्हो कतलाम दिली दल को सिपाह है । नदी रन मंडल रुहेलन रुधिर अौं अजौं रविमंडल रुहेलन की राह है ॥ ३३१ ।। भविष्यकाल का प्रत्यक्ष . गजघटा उमड़ि महा धनघटा सी ओर भूतल सकल मदजल सौं पटत है। वेला छाड़ि उछलत सातौ सिंधु वारि, मन मुदित महेस मग नाचत कढ़त है ।। भूपंन बढ़त भोसिला भुवाल को यो तेज जेतो सब वारही तरनि में बढ़त है। सिवाजी खुमान दल दौरत जहान पर आनि तुरकान पर प्रलै प्रगटत है ।। ३३२॥ भाविक छवि लक्षण-दोहा जहँ दूरस्थित वस्तु को देखत वरनत कोय । भूपन भूपन राज भनि भाविक छबि सो होय ॥ ३३३ ॥ ___ उदाहरण-मालती सवैया सूवन साजि पठायत है निज फोज लखे मरहट्टन केरी। औरंग आपनि दुग्ग जमाति बिलोकत तेरियै फौज दरेरी ।। साहि तनै सिव साहि भई भनि भूपन यो तुव धाक घनेरी। रातहु दोस दिलीस तकै तुव सैन कि सूरति सूरति घेरी ॥३३४॥ १ छंद ९७ का नोट देखिए । .२ शकल !: .. . ३ छं० २०० का नोट । सूरत नाम का गुजरात में प्रसिद्ध शहर ।