पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२६१

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[ १७० ] सारस से सूवा करवानक से साहिजादे मोर से मुगल मीर धीर मैं धचै' नहीं। बगुला से बंगल बलूचियों बतक ऐसे काविली कुलंग याते रन मैं रचै नहीं ।। भूपन जू खेलत सितारे मैं सिकार संभारे सिवा को सुवन जाते दुवन सचे' नहीं । वाजी सब बाज की चपेट चंग चहूँ ओर तीतर तुरक दिल्ली : भीतर वचै नहीं ॥ १९ ॥ देखतही जीवन विडारौ तौ तिहारौ जान्ये जीवनद नाम कहिवेही को कहानी में । कैयौं घनत्याम जो कहा सो सतावै मोहिं निहिचै के आजु यह बात उर आनी में ॥ भूपन सुकवि कीजे कौन पर रोसु निज भागिही को दोसु आगि उठति ज्यों पानो मैं । रावरेहू आये हाय हाय मेघराय सब धरती जुड़ानी पैन वरती जुबानी में ॥ २० ॥ १धरै नहीं। २ शंभानी महाराज शिवाजी के पुत्र थे। इन्होंने १ वर्ष सन् १६८९ ३० तक राज किया । ये महाराज दहादुर थे, परंतु अपने पिता को भौति मुंतज़िम न थे। सन् १६८९ ई० मे औरंगजेब ने इन्हें पकड़ लिया और कहा--"यदि तुम मुसलमान हो नाओ तो तुम्हारा राज्य तुमको वापस कर दिया जाय।" इस पर इन्होंने कहा- "दुष्ट तुझपर थू और तेरे मन पर थू।" इस पर औरंगजेई ने बड़ी निर्दयता से इन्हें मरवा डाला। ३ संचार नहीं करता ४ ये छंद नं. ७ व ८ शिवाजावनी से यहाँ मार है। ५ जीवन देनेवाला : वियोग का वर्णन है।