. [ ३१ ] __इस प्रकार अपना बल भली भाँति स्थापित करके शिवाजी सन् १६७६ से ७८ तक अठारह महीने करनाटक वश करने में लगे रहे । ऐसी प्रचंड और प्रभावपूरित इनकी कोई और चढ़ाई नहीं हुई थी और इसका वर्णन भी कवि ने बड़े उत्कृष्ट छंदों में किया है (शि० बा० के छंद नं०४२, ४५, ४६ देखिए)। इस समय इनकी ऐसी धाक बंध गई थी कि पुर्तगालवासी तक इन महाशय को नजरें भेजते थे, बीजापुर एवं गोलकुंडावाले पीछे दवते थे ( वरन् पाँच लक्ष और तीन लक्ष रुपए सालाना कर भी देते थे) तथा औरंगजेब का राज्य नर्मदा के उत्तर तक रह गया था। इसी समय भूपणजी ने औरंगजेब को ललकारा था (शि० बा० नं०३६ देखिए) शिवराज के प्रयत्नों का फल स्वरूप भूषण ने यथार्थ छंद कहा है "वेद राखे विदित" इत्यादि (शि० बा० नं०५१ देखिए)। भूपण जी का लिखा हुआ इतिहास इसी जगह समाप्त होता है । अव हम पाठकों के लाभार्थ उस समय के ऐसे इतिहास को भी सूक्ष्मतया लिखते हैं जिससे उन्हें भूषण के काव्य का पूर्ण प्रभाव समझने में सुभीता हो। शिवाजी का जन्म सन् १६२७ ई० में हुआ था। इनकी माता का नाम जीजाबाई था। शाहजी ने एक दूसरा भी विवाह -
- पाठकगण देख सकते हैं कि ऊपर के इतिहास में, "काव्य" की कुछ तड़क
भगक छोद, प्रायः सभी बातें सत्य हैं।