"कोई वस्तु पूर्णतया हमारी हो, इसके लिये यह आवश्यक है कि वह हमारे आनंद की वस्तु हो*[१]।"
"विज्ञानवेत्ता लोग अपने अनुभव लिखते हैं, और कवि भी लिखता है, परंतु कवि को एक बात का सदा ध्यान रखना पड़ता है। एक मनुष्य के लेख से जो आशा की जा सकती है, वही उससे की जाती है। उसके लिये यह आवश्यक है कि अपनी रचना से पाठक को तत्काल आनंद प्राप्त करा दे।"
"कविता का उद्देश्य यह है कि विस्मय और आनंदातिशय का प्रादुर्भाव साथ-ही-साथ हो†[२]।"
"विज्ञान के विपरीत जो रचना-कौशल है, वही कविता है, उसका उद्देश्य या ध्येय बुद्धि-संबंधी आनंद है।"
"कविता-विशेष के जो भिन्न-भिन्न अंग हैं, उनमें प्रत्येक से अधिकाधिक आनंद प्राप्त हो सके, और वह संपूर्ण कविता से समुद्भूत पराकाष्ठा को पहुँचे हुए आनंद से सामंजस्य भी रख सके, तो जिस कविता में ऐसा आनंद पाया जाय, उसे पूर्णता-प्राप्त कविता मानना होगा+[३]।"
- ↑ *The poet writes under one restriction only, namely, the necessity of giving immediate pleasure to human being possessed of that information which may be expected from him, not as lawyer, a physician, a mariner, an astronomer, or a natural philosopher, but as a man.
- ↑ †The end of poetry is to produce excitement in co-existence with an over-balance of pleasure.
—Wordsworth.
- ↑ +A poem is a species of composition opposed to science as having intellectual pleasure for its object or end and its perfection is to communicate the greatest immediate pleasure from that Part, comptible with the largest sum of pleasure on the whole.
—Coleridge.