पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

' समीक्षा नात्मक दृष्टि से विचार किया जाय, तो कदाचित् सब रसों में से एक के सर्वश्रेष्ठ निर्णीत किए जाने में सफलता प्राप्त हो सके। पहले व्यभिचारी या संचारी भावों को ही लीजिए। इनकी संख्या तेंतीस है। प्रत्येक रस में कौन-कौन संचारी पाए जाते हैं, यह ऊपर बतलाया जा चुका है, इसलिये यहाँ उसके पुनः दोहराने की आवश्य- कता नहीं है । संख्या की दृष्टि से रसों में व्यभिचारियों का क्रम यों ठहरता है- X हास्य में अद्भुत में X बीभत्स में वीर में x रौद्र में X भयानक में करुण में ११ शृंगार में २९ __ शृंगार में जो चार व्यभिचारी नहीं पाए जाते हैं, उनके नाम ये हैं-१ उग्रता, २ मरण, ३ आलस्य और ४ जुगुप्सा । उग्रता रौद्र में, जुगुप्सा भयानक में, आलस्य हास्य में तथा मरण भयानक और बीभत्स, दोनो में ही पाया जाता है । ___सो करुण, अद्भुत और वीर पाए जानेवाले ऐसे कोई व्यभि- चारी नहीं हैं, जो शृंगार में न पाए जाते हों। हाँ, शृंगार में २५ व्यभिचारी ऐसे हैं, जो अद्भुत में, २३ ऐसे, जो वीर में तथा १८ ऐसे, जो करुण में नहीं पाए जाते हैं। सो केवल व्यभिचारियों के विचार से शृंगार-रस वीर, करुण और अद्भुत से बड़ा ठहरता है। रौद्र की उग्रता शृंगार में अवश्य ही नहीं है, परंतु उसके और शृंगार के अन्य सात संचारी एक ही हैं। यही क्यों, शृंगार में २२