पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/३४७

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रसराज AMRI उदाहरण जा. छिन त 'मतिराम' कहै मुसकात कहँ निरख्यौ नंदलालहि ; ता छिन ते छिन ही-छिन छीन बिथा , बहु बाढ़ी बियोग की बालहि । पोंछति है कर सौं किसलै गहि बूझति स्याम सरीर गुपालहि ; भोरी भई है मयंकमुखी भुज भेटति है भरि अंक तमालहि ॥४१९॥ रोय उठे, छिन हँसि उठे, छिन उठि चलै रिसाय। बौरी करी' बनाय कै, रूप ठगौरी लाय ॥४२०॥ व्याधि-लक्षण काम पीर ते पियरई, ताप दुबरी होय । . तासौं ब्याधि बखानहीं कबि-कोबिद सब कोय ॥४२१॥ उदाहरण बरषा-सी लागी निसि बासर बिलोचन नि , बाढ़ो परबाह भयो नावनि' उतरिबौ ; सही जान कौन पै सुकबि ‘मतिराम' अति , बिरह अनल ज्वाल जालन ते जरिबौ । जैयतु समीप तो उड़यत उसासनि सौं, ... हमकौं . तौ होतु उत हेरत हहरिबौ ; -- १ भोरी बाल, २ रह्यो, ३ सों,। ४. छं० नं० ४२० बौरी करी बनाय कै, रूप ठगौरी लाय=सुंदरता- रूपी मोहनी का प्रयोग करके नायिका को बिलकुल बावली बना डाला।