पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/३९२

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३८८
मतिराम-ग्रंथावली

३८८ मतिराम-ग्रंथावली उदाहरण प्रगट कुटिलता जो करी हम पर स्याम सरोस । मधुप जोग बिष उगलिए कछ न तिहारो दोस ।।१८६।। प्रथमाक्षेप-लक्षण जहाँ कही निज बात कौं समुझि करत प्रतिषेध । तहाँ कहत आछेप हैं कबिजन मति उत्सेध ॥१८७॥ उदाहरण दै' मृदुपायन जावक को रँग, नाह को चित्त रँगै रँग जातै ; अंजन दै करौ नैननि मैं सूखमा, बढि स्याम सरोज प्रभातें। सोने के भूषण अंग रचौ 'मतिराम' सबै बस कीवे की घात; यौं ही चले न सिँगार सुभावहि मैं सखि भूलि कही सब बातें ।। १८८॥ द्वितीयाक्षेप-लक्षण जहाँ न साँच निषेध है, है निषेध आभास । तहँ औरो आछेप को, कबिजन करत प्रकास ॥१८९।। उदाहरण हौं न कहत तुम जानिहौ लाल बाल की बात । अँसुवा उड़गन परत हैं हौंन चहत उतपात ।।१९०॥ तृतीताक्षेप-लक्षण जहँ बिधि प्रगट बखानिए छप्यौ निषेध प्रकास । तहँ औरौ आछेप कहि बरनत बुद्धि बिलास ॥१९१॥ १ है, २ अंजनि सो करि सुंदरि नैननि यों कुबलै दल, ३ कहीं, ४ गिरत। छं० नं० १९० उड़गन तारागण । उल्कापात अशुभ है । आँसू- रूप उल्कापात भी भविष्य अनिष्ट की सूचना देता है ।

  • देखो रसराज उदाहरण मंडन ।