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पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/३९५

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ललितललाम चतुर्थ विभावना-लक्षण हेतु काज को जो नहीं ताते काज उदोत। या सौं और बिभावना कहत सकल कबिगोत ।। २०२ ।। उदाहरण हँसत बाल के बदन मैं यौं छबि कछ अतूल । फली चंपक बेलि तें झरत चमेली-फूल । २०३ ॥ चंदमुखी हाँसी मैं चमेली की लता-सी होति, चंपकलता-सी अंग जोति कौं' धरति है; कबि 'मतिराम' तेरे अंग की सुबास लहै , ____ कौन बेलि रूप यह जानी ना परति है। नैसुक निहारि कै छबीली नैन-कोरनि ते , ऐसी अचिरज की कलानि आचरति है; ललित तमाल स्याम रसिक रसाल कौंते , कदम मुकुल के कुलनि' सौ करति है । २०४॥*. पंचम विभावना लक्षण बरनत हेतु बिरोध ते उपजत हैं जहँ काज । तहँ बिभावना औरऊ बरनत कबि सिरताज ॥२०५ ॥ उदाहरण मोरपखा ‘मतिराम' किरीट मैं, कंठ बनी बनमाल सुहाई ; मोहन की मुसकानि मनोहर, कुंडल-डोलनि मैं छबि छाई। लोचन लोल बिसाल बिलोकनि, को न बिलोकि भयी बस माई; वा मुख की मधुराई कहा कहौं, मीठी लगै अखियान लुनाई। २०६ ॥ १ सी, २ कदंब हू पुलक मुलकनि, कदंब मुकलित के, ३ कहत सुकबि ।

  • देखो रसराज उदाहरण रोमांच ।

देिखो रसराज उदाहरण गुण-कथन । S EANIRNSREASE