सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/५०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५०४
मतिराम ग्रंथावली
 


फुटकल छंदों के लिये हम श्रीयुत याज्ञिक-त्रय के कृतज्ञ हैं अलंकार-पंचाशिका का परिचय पंडित भागीरथप्रसाद दीक्षित ने लिखा है।उनको भी धन्यवाद । यह ग्रंथ अभी निर्विवाद रूप से रसराज के रचयिता का ही नहीं मान लिया गया है । ग्रंथावली में पहले मूल पाठ है । फुट-नोट में ऊपर दिखलाई प्रतियों से मिलान करके पाठांतर दिए गए हैं तथा फिर शब्दार्थ और भावार्थ आदि । जहाँ वही छंद तीनों या दो ग्रंथों में समान रूप से आया है वहाँ इस विषय की भी चिह्न-विशेष लगाकर सूचना दे दी गई है।

भूमिका लिखने में लेखक को और जिन ग्रंथों से सहायता मिली है उनके नाम यथास्थान लिख दिए गए हैं। उन सबके रचयिताओं के प्रति लेखक हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करता है।