यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( १४७ ) कोई परिवर्तन हुआ हो, यह मालूम नहीं होता। बड़े बड़े विश्व- विद्यालयों के शिक्षाक्रम फा प्रभाव सारे देश पर निश्चित रूप से पड़ता था। यहाँ यह न भूलना चाहिए कि भिन्न भिन्न दार्शनिक और धार्मिक संप्रदायों में यह शिक्षाक्रम उक्त रूप में नहीं था। उनकी पाठशालाओं में साधारण ज्ञान के बाद उन्हीं के धार्मिक या दार्शनिक ग्रंथों का अध्ययन विशेष रूप से कराया जाता था, जैसा कि आजकल काशी आदि में पाया जाता है।