प्रथम व्याख्यान धर्म और समाज बौद्धधर्म ईसवी सन् ६०० से लगाकर १२०० तक भारतवर्ष में तीन धर्म- वैदिक, बौद्ध और जैन-मुख्यतः पाए जाते हैं। सातवीं सदी के प्रारंभ-काल में यद्यपि बौद्ध धर्म की अवनति हो रही थी तो भी उसका प्रभाव बहुत कुछ था, जैसा कि हुएन्त्संग के यात्रा-विवरण से जान पड़ता है, अतएव हम बौद्ध धर्म का विवेचन पहले करते हैं। भारतवर्ष का प्राचीन धर्म वैदिक था, जिसमें यज्ञ यागादि को प्रधानता थी और बड़े बड़े यज्ञों में पशुहिंसा भी होती थी। मांस- भक्षण का प्रचार भी बढ़ा हुआ था। वौद्ध धर्म की उत्पत्ति और वौद्धों के जीव-दया-संबंधी सिद्धांत पहले और उसका प्रचार से ही विद्यमान थे, परंतु उनका लोगों पर विशेष प्रभाव न था। शाक्य-वंशी राजकुमार गौतम ( महात्मा बुद्ध) ने बौद्ध धर्म का प्रचार बढ़ाने का बीड़ा उठाया और उनके उपदेश से अनेक लोग बौद्ध धर्म ग्रहण करने लगे, जिनमें बहुत से राजा, राजवंशी, ब्राह्मण, वैश्य आदि भी थे। दिन दिन इस धर्म का प्रचार बढ़ता गया और मौर्यवंशी सम्राट अशोक ने उसे राजधर्म जैनों .
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