पृष्ठ:मध्यकालीन भारतीय संस्कृति.djvu/२५०

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उड़ता है (१८३ ) अाकाश में चलनेवाले 'विमान' का वर्णन है। उसमें विमान के विषय में लिखा है कि महाविहंग नाम की लकड़ी का विमान बनाया जाय, उसमें रसयंत्र रखा जाय, जिसके नीचे भाग से भरा हुन ज्वलनाधार हो उसमें बैठा हुत्रा पुरुष पार की शक्ति से साकार से । इस वर्णन से स्पष्ट है कि ग्यारहवीं सदी में इन मंत्रों का बनाना ज्ञात था, परंतु सर्व साधारण में इसका प्रचार न था। इतना वर्णन करते हुए इस ग्रंथ का कर्ता लिखता है कि हमें बहुत से अन्य यंत्रों का बनाना भी मालूम है, परंतु उनका बताना फल. प्रद नहीं है, इसलिये उनका वर्णन नहीं लिया । इन ग्रंथ में नया लीन वैज्ञानिक और शिल्प-साहित्य पर बहुत प्रकार पड़ता विषय की बहुत सी पुस्तकों का निर्देश हम वानी के मंग। कर चुके हैं। है