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पृष्ठ:मध्यकालीन भारतीय संस्कृति.djvu/५

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( ख ) उन्नति कर रहे थे। मुसलमान भी सिंध में पा चुके थे और ग्यारहवीं बारहवीं सदी में मुसलमानों का प्रवेश भारत में विशेष रूप से हो चुका था और कितने एक प्रांतों पर भी उनका अधिकार हो गया था। इस तरह भिन्न भिन्न राजवंशों के विकास और हास आदि अनेक राजनीतिक परिवर्तनों के कारण भी इस काल का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। इन महत्त्वपूर्ण राजनीतिक और धार्मिक परिवर्तनों के कारण तत्कालीन सामाजिक स्थिति में भी विशेष महत्त्व के परिवर्तन हुए। उस समय के विचार-प्रवाह, रीति रिवाज आदि में कम महत्व के परिवर्तन नहीं हुए। समाज का संगठन भी पहले से बदल गया । केवल सामाजिक स्थिति ही नहीं, किंतु उस समय की राजनीति पर भी उसका कम प्रभाव नहीं पड़ा। तत्कालीन शासनपद्धति एवं राजकीय संस्थाओं में भी कुछ परिवर्तन हुआ। कृषि, व्यापार और व्यवसाय इन तीनों के उन्नत होने के कारण यह काल आर्थिक दृष्टि से भी विशेष महत्त्व का था। यूरोप और एशिया के देशों के साथ भारतीय व्यापार बहुत बढ़ा हुआ था । भारतवर्ष केवल कृषिप्रधान देश ही नहीं बल्कि व्यवसाय-प्रधान देश भी था । वस्त्र-व्यवसाय के अतिरिक्त सोना, लोहा, काँच, हाथीदाँत इत्यादि के व्यवसाय भी बहुत उन्नत थे। भारतवर्ष अधिक संपन्न और ऐश्वर्यशाली था। भोजन और अन्य आवश्यक पदार्थ बहुत सस्ते थे जिससे किसी को भोजनादि की विशेष चिंता नहीं रहती थी। उस समय का ज्ञानसंबंधी विकास भी कम नहीं था, जैसा कि आगे मालूम होगा। हमारे इस समय में काव्य, नाटक, कथाएँ आदि साहित्य-विषयक ग्रंथों के अतिरिक्त ज्योतिष, गणित, आयुर्वेद तथा कलाकौशल में विशेष उन्नति हुई थी। इस तरह हम देखते हैं कि यह काल प्रायः सभी दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। ऐसे घटना- 1