( ८ ) "मछुआ मछली मारने के लिए हर घड़ी मिहनत करता है, इसलिए कि उसको मछली का अच्छा मोल मिले।" (1) जव उद्देशवाचक वाक्य मुख्य वाक्य के पहले आता है तब उसके साथ कोई समुच्चय-बोधक नहीं रहता; परन्तु मुख्य वाक्य "इस- लिए" से प्रारम्भ होता है; जैसे, "तपोवनवासियों के कार्य में विन न हो, इसलिए रथ को यहीं रखिए।" (२) "ओ" के बदले कभी कभी जिसमें वा जिससे आता है; जैसे, "बेग बेग चली आ जिससे सब एक-संग क्षम-कुशल से कुटी में पहुंचे।" (इ) संकेतवाचक-जो-तो, यदि-तो, यद्यपि- तथापि (तो भी,) चाहे-परंतु। __ ये शब्द संबंधवाचक और नित्य-संबंधी सर्वनामों के समान जोड़े से आते हैं। इन शब्दों के द्वारा जुड़नेवाले वाक्यों में से एक में “जो "यदि", "यद्यपि" या "चाहे? आता है और दूसरे वाक्य में क्रमश: "तो", "तथापि” (तोभी) अथवा "परंतु आता है । जिस वाक्य में "जो", "यदि", "यद्यपि" या "चाहे" का प्रयोग होता है उसे पूर्व वाक्य और दूसरे को उत्तर वाक्य कहते हैं। इन अव्ययों को "संकेत-वाचक" कहने का कारण यह है कि पूर्व वाक्य में जिस घटना का वर्णन रहता है, उससे उत्तर वाक्य की घटना का संकेत पाया जाता है। - जो-तो-जब पूर्व वाक्य में कही हुई शर्त पर उत्तर वाक्य की घटना निर्भर होती है, तब इन शब्दों का प्रयोग होता है । इसी अर्थ में
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