पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१०८

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( १०५ ) पुर-पक्षी, उल्लू, कौग्रा, भेड़िया, चीता, खटमल, केचुत्रा। स्त्री०-चील, कोयल, बटेर, मैना, गिलहरी, जोंक, तितली । (क) प्राणियों के समुदाय-वाचक नाम भी व्यवहार के अनुसार 'युल्लिंग वा स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे- पु०-समूह, झंड, कुटुम्ब, संव, दल, मंडल। स्त्री०-भीड़, फौज, सभा, प्रजा, सरकार, टोली। २१७-कोई कोई अप्राणिवाचक संज्ञाएँ दोनों लिंगों में आती हैं। इन्हें उलय-लिंग कहते हैं। उदा०-कलम, गेंद, चलन, पुस्तक, समाज। २१८-अब अप्राणिवाचक संज्ञाओं के रूप के अनुसार लिंग-निर्णय करने के कुछ नियम लिखे जाते हैं। हिंदी में . संस्कृत और उर्दू शब्द भी आते हैं, इसलिए इन भाषाओं के शब्दों का अलग विचार करने में सुभीता होगा । १..-हिंदी शब्द पुल्लिंग (अ) ऊनवाचक संज्ञाओं को छोड़ शेष आकारांत संज्ञाएँ; जैसे, कपड़ा, गन्ना, पैसा, पहिया, आटा, चमड़ा। (आ) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अंत में ना, आव, पन वा पा होता है; जैसे, आना, गाना, बहाव, चढ़ाव, बड़- पन, बुढ़ापा। (इ) कृदंत की पानांत संज्ञाएँ; जैसे, लगान, मिलान, खानपान, नहान, उठान । अहीनता सूचित करनेवाली ।