पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१४५

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( १४० ) का स्पष्ट बोध कराने के लिए "लोग” वा “लोगों" लगाते हैं; जैसे, ये लोग, उन लोगों को, किन लोगों से। "कौन" को छोड़ शेष सर्वनामों के साथ "लोग” के बदले कभी कभी - "सब" आता है; जैसे, हम सब; आप सबको; इन सब में से । ____२७८-विकारी सर्वनामों के मेल से बने हुए सर्वनामों के दोनों अवयव विकृत होते हैं; जैसे, जिस किसी को; जिस जिससे किसी न किसी का नाम । पाँचवाँ अध्याय विशेषणों का रूपांतर २७६-हिंदी में प्राकारांत विशेषणों को छोड़ दूसरे विशेषणों में कोई विकार नहीं होता; परंतु सब विशेषणों का प्रयोग संज्ञाओं के समान होता है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि विशेषणों में बहुधा लिंग, वचन और कारक होते हैं। - २८०-"आप", "क्या" और "कुछ" को छोड़कर शेष मूल सार्वनामिक विशेषणे के पश्चात् विभक्त्यंत वा संबंध-सूचकांत संज्ञा आने पर उनके दोनों वचनों में विकृत रूप आता है; जैसे, "मुझ दीन को", "तुझ मूर्ख से", "हम ब्राह्मणों का धर्म", "उस गाँव तक", किस वृक्ष की चाल", "उन पेड़ों पर"। २८१-यौगिक सार्वनामिक विशेषण आकारांत होते हैं; जैसे, ऐसा, वैसा, इतना, उतना। ये आकारांत गुणवाचक