पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१४९

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( १४४ ) है; जैसे, कपड़ा सिया जाता है। चिट्ठी भेजी गई। मुझसे यह बोझ न उठाया जायगा। ____ २८६-क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाता है कि वाक्य का उद्देश्य क्रिया का कर्त्ता या कर्म नहीं है, उस रूप को भाववाच्य कहते हैं; जैसे, “यहाँ कैसे बैठा जायगा।" "धूप में चला नहीं जाता।" २६०-कर्तवाच्य अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में होता है; कर्मवाच्य केवल सकर्मक क्रियाओं में और भाववाच्य केवल अकर्मक क्रियाओं में होता है। (अ) यदि कर्मवाच्य और भाववाच्य क्रियाओं में कर्ता को लिखने की आवश्यकता हो, तो उसे करण-कारक में रखते हैं; जैसे, लड़के से रोटी नहीं खाई गई। मुझसे चला नहीं जाता। कर्मवाच्य में कर्ता कभी कभी "द्वारा" शब्द के साथ आता है; जैसे, "मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी गई।" () जनना, भूलना, खोना आदि कुछ सकर्मक क्रियाएँ बहुधा कर्मवाच्य में नहीं आतीं। २६१-जब क्रिया का कर्त्ता अज्ञात हो अथवा उसके प्रकट करने की आवश्यकता न हो तब कर्मवाच्य क्रिया आती है; जैसे, "चोर पकड़ा गया है", "आज हुक्म सुनाया जायगा"। भाववाच्य क्रिया बहुधा अशक्यता के अर्थ में आती है; जैसे, “यहाँ कैसे बैठा जायगा।" "लड़के से चला नहीं जाता।"