( १४५ ) २६२-द्विकर्मक क्रियाओं के कर्मवाच्य में मुख्य कर्म उद्देश्य होता है और गौण कर्म ज्यों का त्यों रहता है; जैसे, राजा को भेंट दी गई। विद्यार्थी को गणित सिखाया जायगा। (२) काल २६३-क्रिया के उस रूपांतर को काल कहते हैं जिससे क्रिया के व्यापार का समय तथा उसकी पूर्ण वा अपूर्ण अवस्था का बोध होता है; जैसे, मैं जाता हूँ ( वर्तमानकाल )। मैं • जाता था ( अपूर्ण भूतकाल )। मैं जाऊँगा ( भविष्यत्काल ।) २६४-हिंदी में क्रिया के कालों के मुख्य तीन भेद होते हैं-(१) वर्तमानकाल (२) भूतकाल ( ३) भविष्यत्काल । २६५-क्रिया के जिस रूप से केवल काल का बोध होता है और व्यापार की पूर्ण वा अपूर्ण अवस्था का बोध नहीं होता, उसे काल की सामान्य अवस्था कहते हैं। व्यापार की सामान्य, अपूर्ण और पूर्ण अवस्था के विचार से हिंदी में मुख्य कालों के जो छः भेद होते हैं, उनके नाम और . उदाहरण ये हैं- काल सामान्य अपूर्ण वर्तमान भूत भविष्यत् चलता चला चलेगा चला है चला था चलता था
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