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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१६०

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खा ( १५५ ) क्रिया धातु पूर्वकालिक कृदंत खाना खाके, खाकर, खा करके दौड़ना दौड़ दौड़के, दौड़कर, दौड़ करके (क) पूर्वकालिक कृदंत अव्यय से बहुधा मुख्य क्रिया के पहले होनेवाले व्यापार की समाप्ति का बोध होता है; जैसे, "हम नगर देखकर लौटे ।” ३१७-वर्तमान कालिक कृदंत के "ता" को "ते" आदेश करके उसके आगे "ही" जोड़ने से तात्कालिक कृदंत अव्यय बनता है; जैसे, बोलते हो, आते ही। इससे मुख्य क्रिया के साथ होनेवाले व्यापार की समाप्ति का बोध होता है; जैसे, "उसने आते ही उपद्रव मचाया ।" ३१८-अपूर्ण क्रियाद्योतक कृदंत अव्यय का रूप तात्का- लिक कृदंत अव्यय के समान "ता को "ते" आदेश करने से बनता है; परंतु उसके साथ "ही" नहीं जोड़ी जाती; जैसे,, सोते, रहते, देखते। इससे मुख्य क्रिया के साथ होनेवाले व्यापार की अपूर्णता सूचित होती है; जैसे, "मुझे घर लौटते रात हो जायगी ।" "उसने जहाजों को एक पाँति में जाते देखा ।" ३१६-पूर्ण क्रियाद्योतक कृदंत अव्यय भूतकालिक कृदंत: विशेषण के अंत्य "आ" को "ए" आदेश करने से बनता है; जैसे, किये, गये, बीते, लिये, मारे। इस कृदंत से बहुधा मुख्य क्रिया के साथ होनेवाले व्यापार की पूर्णता का बोध होता है;