सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१६२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( १५७ ) दूसरा वर्ग वर्तमानकालिक कृदंत से बने हुए काल (1) सामान्य संकेतार्थ हेतुहेतुमद्भूत (४) संभाव्य-वर्तमान (२) सामान्य वर्तमान (१) संदिग्ध-वर्तमान (३) अपूर्ण भूत (६) अपूर्ण संकेतार्थ तीसरा वर्ग भूतकालिक कृदंत से बने हुए काल (१) सामान्यभूत (४) संभाव्य-भूत (२) पूर्णवर्तमान (अासन्नभूत ) (५) संदिग्ध-भूत -, (३) पूर्णभूत (६) पूर्ण संकेतार्थ [सूचना-इन तीनों वर्गों में से पहले वर्ग के चारों काल तथा सामान्य संकेतार्थ और सामान्य-भूतकाल केवल प्रत्ययों के योग से बनते हैं, इसलिए ये छः काल साधारण काल कहलाते हैं और शेष इस काल सहकारी क्रिया के योग से बनने के कारण संयुक्त-काल कहे जाते हैं। १-कर्तृवाच्य - ३२१-पहले वर्ग के चारों कालों के कर्तृवाच्य के रूप - नीचे लिखे अनुसार बनते हैं- (१) संभाव्य भविष्यत्काल बनाने के लिए धातु में ये - प्रत्यय जोड़े जाते हैं- फा, ११