पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१६३

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एकवचन बहुवचन उ० पु० म० पु० । अ० पु० . ए - (अ) यदि धातु अकारांत हो तो ये प्रत्यय "अ" के स्थान में लगाये जाते हैं; जैसे, "लिख” से “लिखू", "कह" से "कहे", "बोल" से "बोलें"। (आ) यदि धातु के अंत में आकार वा ओकार हो तो "ॐ" और "ओ" को छोड़ शेष प्रत्ययों के पहले विकल्प से - "व" का आगम* होता है; जैसे, "जा" से जाये वा जावे, "गा" से गाये वा गावे, “खो" से खोथे वा खोवे । ईकारांत और ऊकारांत धातुओं का ( जब उनमें "व" का आगम नहीं होता ) अंत्य स्वर ह्रस्व हो जाता है; जैसे, जिऊँ, जिओ, पिये वा पीवे. सीए वा सीवें, छए वा छवे । (इ) एकारांत धातुओं में ॐ और ओ को छोड़ शेष प्रत्ययों के पहले “व' का आगम होता है; जैसे, सेवे, खेवें, देवें। (ई) देना और लेना क्रियाओं के धातुओं में विकल्प से सब प्रत्ययों का आदेश होता है; जैसे, दूँ ( देऊँ ), दे ( देवे ). दो ( देओ), लू ( लेऊँ ), ले ( लेवे ), लो ( लेओ)। (उ) आकारांत धातुओं के परे ए और ए के स्थान में विकल्प से क्रमश: य और य आते हैं; जैसे, जाय, जाय, खाय, खायें । ___* बाहरी अक्षर का उपयोग ।