(५) वर्तमानकालिक कृदंत के साथ सहकारी क्रिया के सामान्य-भविष्यत् के रूप लगाने से संदिग्ध वर्तमानकाल बनता है; जैसे, मैं आता होऊँगा, वह आता होगा, वे आती होगी। (६) अपूर्ण संकेतार्थ काल बनाने के लिए वर्तमान- कालिक कृदंत के साथ सहकारी क्रिया के सामान्य संकेतार्थ काल के रूप लगाये जाते हैं; जैसे, आज दिन यदि बढ़ई हल न तैयार करते होते तो हमारी क्या दशा होती ! ३२४-तीसरे वर्ग के छओं कर्तृवाच्य काल भूतकालिक कृदंत के साथ "होना" सहकारी क्रिया के पूर्वोक्त पाँचों कालो के रूप जोड़ने से बनते हैं। इन कालों में "बोलना" वर्ग की क्रियाओं को छोड़कर शेष सकर्मक क्रियाएँ कर्मणिप्रयोग वा भावेप्रयोग में आती हैं। यहाँ केवल कर्त्तरिप्रयोग के उदा- हरण दिये जाते हैं- (१) सामान्य भूतकाल भूतकालिक कृदंत में कर्ता के पुरुष-लिंग-वचनानुसार रूपांतर करने से बनता है। इसके साथ सहकारी क्रिया नहीं आती; जैसे, मैं आया, हम आये, बह बोला, वे बोली। (२) आसन्न-भूत बनाने के लिए भूतकालिक कृदंत के साथ स्थितिदर्शक सहकारी क्रिया के सामान्य-वर्तमान के रूप जोड़ते है; जैसे, मैं बोला हूँ, वह बोला है, तू आया है, वे आई हैं। (३) पूर्ण भूतकाल भूतकालिक कृदंत के साथ स्थिति- दर्शक सहकारी क्रिया के सामान्य भूतकाल के रूप जोड़कर
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