पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१९५

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(१६० ) (अ) जो क्रिया केवल यमक (ध्वनि) मिलाने के लिए पाती है, वह निरर्थक रहती है; जैसे, पूछना-ताछना, होना-हवाना। (आ) पुनरुक्त क्रियाओं में दोनों क्रियाओं का रूपांतर होता है, परंतु सहायक क्रिया केवल पिछली क्रिया के साथ आती है; जैसे, अपना काम देखो-भालो, यह वहाँ जाया-प्राया करता है। ३४८-सकर्मक संयुक्त क्रियाओं का कर्मवाच्य बनाने के लिए मुख्य क्रिया के भूतकालिक कृदंत के साथ 'जाना' क्रिया के कृदंत में सहायक क्रिया के काल जोड़ते हैं; जैसे, चिट्ठी लिखी जाने लगी। काम किया जा सकता है। पानी लाया. जा चुकेगा। (क) कर्मवाच्य में बहुधा अवकाशबोधक, अभ्यास-बोधक, इच्छा- बोधक और अकर्मक सहायक क्रियाओं के योग से बनी हुई अवधारण- वोधक, सकर्मक संयुक्त क्रियाएं नहीं आती। ३४६-अकर्मक सहायक क्रियाओं के योग से बनी हुई सकर्मक संयुक्त कियाएँ ( क वाच्य में ) भूतकालिक कृदंत से बने कालों में सदैव कर्त्तरिप्रयोग में आती हैं; जैसे, लड़का पढ़ने लगा। हम बात करते रहे। लड़की काम न कर. सकी। वह उसे मार बैठा। (अ) अभ्यास-बोधक और "देना' के योग से बनी हुई नाम- दोधक संयुक्त क्रियाएँ भी कतरिप्रयोग में आती हैं; जैसे, बारह बरसः दिली रहे, पर भाद ही झोंका किये । चार थोड़ी दूर पर दिखाई दिया ।