पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२०

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(३) विसर्ग के साथ स्वर वा व्यंजन की संधि को विसर्गसंधि कहते हैं; जैसे, तप: + वन = तपोवन, निः + अंतर = निरंतर।

(१) स्वर-संधि

४३-–यदि दो सवर्ण स्वर पास पास आवें तो दोनों के बदले सवर्ण दीर्घ स्वर होता है; जैसे --

(क) अ और आ की संधि --

अ+अ = आ——कल्प+अंत = कल्पांत; परम+अर्थ = परमार्थ।

अ+आ = आ——रत्न+आकार = रत्नाकर; कुश+आसन = कुशासन।

आ+अ = आ——रेखा+अंश = रेखांश; विद्या+अभ्यास = विद्याभ्यास।

आ+आ = आ——महा+आशय = महाशय; वार्ता+आलाप = वार्तालाप।

(ख) इ और ई की संधि --

इ+इ = ई——गिरि+इंद्र = गिरींद्र।

इ+ई = ई——कवि+ईश्वर = कवीश्वर।

ई+ई = ई——जानकी+ईश = जानकीश।

ई+इ = ई——मही+इंद्र = महींद्र।

(ग) उ, ऊ की संधि --

उ+उ = ऊ——भानु+उदय = भानूदय।