पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२०४

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( १६६ ) ला-(गुणवाचक)-जैसे, आगे--अगला, पीछे--पिछला। वंत-गुण के अर्थ में; दया-दयावंत, धन-धनवंत । - वाल-यह प्रत्यय “वाला" का संक्षेप है; उदा०- गया-गयावाल, प्रयाग-प्रयागवाल, पल्ली--पल्लीवाल । ___वाला-कर्तृ अर्थ में; जैसे, टोपीवाला, घासवाला। चौथा अध्याय समास ३५६-दो या अधिक शब्दों का परस्पर संबंध बतानेवाले शब्दों अथवा प्रत्ययों का लोप होने पर उन दो या अधिक शब्दों से जो एक स्वतंत्र शब्द बनता है. उस शब्द को सामा- सिक शब्द कहते हैं; और उन दो या अधिक शब्दों का जो संयोग होता है, वह समास कहलाता है। उदा०--प्रेमसागर अर्थात प्रेम का समुद्र। इस उदाहरण में प्रेम, सागर, इन दो शब्दों का परस्पर संबंध बतानेवाले संबंध कारक के 'का' प्रत्यय का लोप होने से 'प्रेमसागर' एक स्वतंत्र शब्द बना है। ३५७-संस्कृत सामासिक शब्दों में बहुधा संधि होती है, पर हिंदी और दूसरी भाषाओं के शब्दों में नहीं होती। उदा०--राम + अवतार = रामावतार, पत्र + उत्तर = पत्रोत्तर, मनस् + योग = मनोयोग।