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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२०६

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( २०१) ३६३-हिंदी अव्ययीभाव समास तीन प्रकार के होते हैं। (अ) हिंदी-जैसे, निडर, निधड़क, भरपेट, अनजाने । . (प्रा) उर्दू (फारसी अयवा अरबी); जैसे, हररोज, बेशक, यजिंस, बखूबी, नाहक । (इ) मिश्रित अर्थात् दोनों भाषाओं के शब्दों के मेल से बने हुए; जैसे, हरघड़ी, हरदिन, बेकाम, बेखटके । ३६४-हिंदी में संज्ञा की द्विरुक्ति करके भी अव्ययो- भाव समास बनाते हैं। उदा०-घर-घर, दिन-दिन, बूंद-बूंद । कभी कभी द्विरुक्त शब्दों के बीच में ही. ओं"अथवा आ आता है; जैसे, मनही-मन, हाथों-हाथ, मुँहा-मुँह । . ३६५-संज्ञाओं के समान अव्ययों की द्विरुक्ति से भी हिंदी में अव्ययीभाव समास होता है; जैसे, बीचोबीच, धड़ा- धड़, पास-पास, धीरे-धीरे । ३६६--जिस समास में दूसरा शब्द प्रधान होता है, उसे तत्परुष कहते हैं। इस समास में पहला शब्द बहुधा संज्ञा अथवा विशेषण रहता है। उदा०--रसोई-घर, घुड़दौड़। ३६७-तत्पुरुष समास के विग्रह में उसके दोनों शब्दों में भिन्न भिन्न विभक्तियाँ लगती हैं; जैसे, रसोई-घर, घुड़दौड़। ३६८-तत्पुरुष के प्रथम शब्द में कर्ता और संबोधन कारकों को छोड़ शेष जिस विभक्त का लोप होता है, उसी के कारक के अनुसार इस समास का नाम होता है; जैसे,