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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२१६

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( २११ ) शब्दों के रूप और उनका परस्पर संबंध जताने में पड़ती है। इस प्रक्रिया को व्याख्या अथवा पद-परिचय कहते हैं। - ३६७-प्रत्येक शब्द-भेद की व्याख्या में जो जो वर्णन आवश्यक हैं, वे नीचे लिखे जाते हैं- (१) संज्ञा-प्रकार, लिंग, वचन, कारक, संबंध । (२) सर्वनाम-प्रकार,संबंधी संज्ञा, पुरुष,लिंग, वचन,कारक, संबंध । (३) विशेषण-प्रकार, विशेष्य, लिंग, वचन, विकार (हो तो), अन्य संबंध । . (४) क्रिया-प्रकार, वाच्य,अर्थ,काल,पुरुप, लिंग, वचन, प्रयोग। (५) क्रिया-विशेषण-प्रकार, विशेष्य, विकार ( हो तो)। . (६) समुच्चयबोधक-प्रकार, अन्वित शब्द, वाक्यांश अथवा वाक्य । __(७) संबंधसूचक-प्रकार, संबंध । (८.) विस्मयादिबोधक-प्रकार, संबंध (हो तो)। . ३६८-अब व्याख्या (पद-परिचय ) के कुछ उदाहरण 'दिये जाते हैं। पहले सरल वाक्य-रचना के और फिर जटिल वाक्य-रचना के शब्दों की व्याख्या लिखी जायगी। (क) सहज वाक्य-रचना के शब्द (१) वाक्य-वाह ! क्या ही आनंद का समय है। वाह-विस्मयादिबोधक अव्यय, आश्चर्यबोधक। क्या ही-अवधारण-बोधक प्रकारवाचक सार्वनामिक विशेषण, विशेष्य 'आनंद', अविकारी शब्द । . आनंद का-संज्ञा, भाववाचक, पुल्लिंग, एकवचन, संबंध-कारक, संबंधी शब्द 'समय'।