सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( २१६ ) । जब भापं जमीन के पास इकट्टी दिखाई देती है, तब उसे कुहरा कहते हैं, और जब वह हवा में कुछ ऊपर देख पड़ती है, तब उसे वादळ कहते हैं। (दो मिश्र वाश्य )। . . . . . . साधारण वाक्य . . ४०१-साधारण वाक्य में एक संज्ञा उद्देश्य और एक क्रिया विधेय होती है और इन्हें क्रमश: साधारण उद्देश्य और · साधारण विधेय कहते हैं। उद्देश्य बहुधा कर्ता-कारक में रहता है; पर कभी कभी वह दूसरे कारकों में भी आता है; जैसे- . (१) प्रधान कर्ता कारक-लड़का दौड़ता है। . __(२ ) अप्रधान कर्ता-कारक-मैंने लड़के को बुलाया। .... ( ३ ) अप्रत्यय कर्मकारक ( कर्मवाच्य में )-चिट्टी * लिखी जायगी। दवा बनाई गई है। (४.) करण-कारक ( भाववाच्य में )-लड़के से चला नहीं जाता । मुझसे बोलते नहीं बनता। .. (५) संप्रदान-कारक-पापका. ऐसा . न कहना चाहिए था। . . ................... ४०२--साधारण उद्देश्य में संज्ञा अथवा संज्ञा के समान उपयोग में आनेवाला दूसरा शब्द आता हैं; जैसे- (अ) संज्ञा-हवा चलती है। लड़का आया। (आ) सर्वनाम-तुम पढ़ते थे। वे जायगे। .( इ ) विशेषण-विद्वान सब जगह पूजा जाता है। (ई ) वाक्यांश-वहाँ जाना अच्छा नहीं है।