( २२७ .) ज्यों ज्यों भी कामरी, त्यो त्यों भारी होय । जैसे जैसे आम- दनी बढ़ती है, वैसे वैसे खर्च भी बढ़ता जाता है। ४३०-परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्य में ज्यों ज्यों, जैसे जैसे, जहाँ तक, जितना, आते हैं और मुख्य उप- वाक्य में उनके नित्य-संबंधी वैसे वैसे ( तैसे तैसे ), त्यों त्यों, वहाँ तक, उतना रहते हैं। ४३१-कार्य-कारावाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्यों से हेतु, संकेत, विरोध, कार्य वा परिणाम का अर्थ पाया जाता है; जैसे, हम उन्हें सुख देंगे, क्योंकि उन्होंने हमारे लिए बड़ा दुख सहा है। जो यह प्रसंग चलता, तो मैं भी सुनता । यद्यपि इस समय मेरी चेतना-शक्ति मूर्छित सी हो रही है, तो भी वह दृश्य आँखों के सामने घूम रहा है। इस बात की चर्चा हमने इसलिए की है कि उसकी शंका दूर हो जाय। ४३२-कार्य-कारणवाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्य व्यधि- करण समुच्चय-बोधकों से आरंभ होते हैं, जो बहुधा जोड़े न्ले आते हैं; जैसे- प्राश्रित वाक्य में मुख्य वाक्य में इसलिए, इतना, क्योंकि .. ऐसा, यहाँ तक जो, यदि, अगर, तो, तथापि, तो भी, यद्यपि परंतु
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