( २२६ ) ४२४--कालवाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्य जब, ज्योंहो. जब जब, जब तक और जब कभी संबंधवाचक क्रिया-विशेषणों से आरंभ होते हैं और मुख्य वाक्य में उनके नित्यसंबंधी तब, त्योंही, तब तब, तब तक आते हैं। ..... .... ४२५–स्थानवाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्य मुख्य उप- वाक्य के संबंध से स्थिति और गति सूचित करता जहाँ अभी समुद्र है, वहाँ किसी समय जंगल था। ये लोग भी वहीं से आये, जहाँ से आर्य लोग आये थे। जहाँ तुम गये थे, वहाँ गणेश भी गया था। . . . . .. ४२६–स्थानवाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्य में जहाँ, जहाँ से, जिधर आते हैं और मुख्य उपवाक्य में उनके नित्य- संबंधी तहाँ ( वहाँ), वहाँ से और उधर आते हैं। .:: ४२७-रीतिवाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्य से तुलना का अर्थ पाया जाता है; जैसे, दोनों वीर ऐसे टूटे, "जैसे हाथियों के यूथ पर सिंह टूटे" । "जैसे प्राणी आहार से जीते हैं, वैसे ही पेड़ खाद से बढ़ते हैं।"। . . ४२८-रीतिवाचक क्रिया-विशेषण वाक्य जैसे, ज्यो ( कविता में ), 'मानों' से आरंभ होते हैं और मुख्य वाक्य में उनके नित्य-संबंधी 'वैसे' ( ऐसे ), कैसे, त्यों आते हैं। ४२६-परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्य ,से अधि- कता, तुल्यता, न्यूनता, अनुपात आदि का बोध होता है; जैसे,
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